नई दिल्ली। Lok Sabha चुनाव के तारीखों का एलान कर दिया गया है। इस बार लोकसभा के चुनाव 19 अप्रैल से शुरू हो कर 1 जून तक 7 चरणों में चुनाव होने हैं। लोकसभा मे सीटों के हिसाब से सबसे बड़े राज्य यूपी में इस बार 7 चरण मे वोट डाले जाएंगे।
Lok Sabha में सबसे ज्यादा सीटों वाला राज्य
यूपी को लेकर कहा जाता है कि जिसने यूपी जीता उसने भारत जीता। आँकड़े भी कुछ ऐसे ही हैं। लेकिन 80 सीटों के साथ लोकसभा की नेतृत्व करने की ताकत रखने वाला यह राज्य जातिगत समीकरण में उलझा है और जिसने इसे सुलझा लिया उसने मैदान मार लिया। यहां लोकसभा सदस्यों की संख्या 80 है। जिसमें 63 सामान्य वर्ग और 17 सीटें आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षित है।
प्रदेश में OBC सबसे बड़ी जाति
चुनाव में यहां 80 बनाम 20 की जातिगत राजनीति खूब देखी जाती हैं। वैसे तो जातीय जनाधार पूरे देश में चुनाव में जीत का अचूक अस्त्र है लेकिन सूबे में यह ज्यादा देखी जाती हैं। यहां विकास के मुद्दे दूसरी प्राथमिकता होती है पहली प्राथमिकता जाति ही होती है। इसलिए उत्तर प्रदेश को फतह करने के लिए जातियों की समझ होना राजनैतिक दलों के लिए सबसे जरूरी है। प्रदेश में सबसे बड़ी जाति समुदाय ओबीसी है, लेकिन खेला करने की ताकत मुस्लिम और सवर्ण सभी वर्ग ही रखते हैं। इसलिए राजनैतिक पार्टीयां अपने विकास के एजेंडे में इन जातियों का खूब ध्यान रखती हैं।
सीटों का समीकरण
- मुस्लिम– मुस्लिम जनसंख्या के हिसाब से देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य यूपी है। प्रदेश में मुस्लिमों की संख्या करीब 20% हैं। जो लगभग पूरी तरह से सपा और बसपा के साथ-साथ कांग्रेस को सपोर्ट करते हैं। लेकिन बीते कुछ चुनाव में भाजपा को भी मुस्लिम वोटों का स्वाद मिला है। लोकसभा के हिसाब से देखें तो प्रदेश के 80 में से 36 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी करीब 20 फीसदी है। 6 सीटें ऐसी हैं जहां ये 50 % के बराबर हैं। ऐसे में मुस्लिमों का वोट लगभग एक तिहाई सीटों पर निर्णायक भूमिका अदा करता है। प्रदेश के मुस्लिम बहुल सीटों में बागपत, अमेठी, अलीगढ़, गोंडा, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, मऊ, महाराजगंज, पीलीभीत, सीतापुर शामिल हैं। जहां विपक्षी पार्टी का पलड़ा भारी रहता है।
- OBC– प्रदेश की सबसे बड़ी जाति समुदाय की पॉलिटिक्स हमेशा एक समान नहीं दिखती हैं। हालांकि प्रदेश का ये कुनबा जिधर मुड़ जाता है उसकी जीत लगभग सुनिश्चित हो जाती है। लेकिन एक साथ कई सारी उप जातियों के समीकरण को समझना कई बार काफी कन्फ्यूजिंग हो जाता है। प्रदेश में ओबीसी वर्ग करीब 52 फीसदी है इसमें गैर यादवों की संख्या करीब 43 % से अधिक हैं। इसमें कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य, सैनी, लोध, निषाद, कुम्हार, जायसवाल, राजभर, गुर्जर जैसी छोटी जनसंख्या वाली जातियां शामिल हैं जिनपर छोटी पार्टीयों का वर्चस्व है। इसलिए बड़ी पार्टियों को इनके सामने झुकना भी पड़ता हैं। और ये राज्य की आठ फीसदी वोट पर एकाधिकार रखते हैं। इटावा, एटा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज, बदायूं, आजमगढ़, अयोध्या जैसे कई जिले ओबीसी बहुल इलाके हैं। एक समय में सपा और बसपा का यह वोट बैंक आज बीजेपी के साथ खूब शेयर होता हैं।
- ब्राह्मण– अन्य राज्यों कि तुलना में उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण समाज राज्य की सियासत को काफी हद तक प्रभावित करता है। जनसंख्या के हिसाब से इनकी आबादी सिर्फ 8 से 10 % है। लेकिन प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में यह संख्या 20 % से अधिक हैं। वाराणसी, महाराजगंज, गोरखपुर, जौनपुर, अमेठी, कानपुर, प्रयागराज, संत करीब नगर कुछ ऐसे जिले हैं जहां उम्मीदवारों के हार-जीत का फैसला ब्राह्मण वोट करता हैं। बीजेपी इस वोट बैंक का एक मात्र विकल्प है लेकिन ये वर्ग बसपा को भी खूब वोट करता रहा है।
80 में 51 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा
प्रदेश के कुल 80 लोकसभा सीटों में BJP ने 51 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। हालांकि बाराबंकी सीट से उपेंद्र रावत ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है लेकिन अभी तक मामले में कोई अधिकारीक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पार्टी द्वारा उम्मीदवारों के चयन में जातिगत समीकरण को साधने की खूब कोशिश की गई है। 51 उम्मीदवारों में ओबीसी के 21, अगड़ी के 18 और दलित वर्ग के 12 उम्मीदवारों को टिकट दिए गए हैं।
इसमें पार्टी ने ओबीसी वर्ग के अंदर 10 जातियों को प्रतिनिधित्व भी दिया है।
- लोधी-4
- कुर्मी-4
- जाट –3
- गुर्जर-2
- निषाद-2
- तेली-2
- कश्यप-1
- कुशवाहा-1
- यादव-1
- सैनी-1
इसी तरह पार्टी ने 12 दलितों में भी प्रतिनिधत्व का खासा ध्यान रखा है।
- पासी-5
- पाल- 1
- कोइरी- 1
- धानुक- 1
- जाटव- 2
- खटीक- 2
भाजपा ने 18 अगड़ों को टिकट दिया गया है।
- ब्राह्मण- 10
- राजपूत –7
- पारसी –1
2019 के Lok Sabha चुनाव में BJP 2014 से 9 सीटें कम जीती
वहीं अगर लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम की बात करें तो 62 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी भाजपा रही। लेकिन उससे पिछले चुनाव के मुताबिक 9 सीटें कम मिली थी। जबकि गठबंधन में पार्टी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को 2 सीटें मिली थी। चुनाव में एनडीए गठबंधन को 51.19 % वोट प्राप्त हुए थे। वहीं सीटों से हिसाब से बसपा राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही। बहुजन समाज पार्टी को चुनाव में 10 सीटों पर सफलता मिली। जबकि महागठबंधन के अन्य सहयोगी में राष्ट्रीय लोक दल का खाता भी नहीं खुला तो सपा को 5 सीटों पर सफलता मिली। इस चुनाव में कांग्रेस को 6.41% वोटों के साथ 1 सीट पर सफलता मिली थी।
क्षेत्रवार परिणाम में भी बीजेपी आगे
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा का प्रदर्शन सभी क्षेत्र में बेहतरीन रहा। पार्टी ने बुंदेलखंड में क्लीन स्वीप करते हुए सभी 4 सीटों पर सफलता प्राप्त की वहीं मध्य यूपी के 24 सीटों में पार्टी के 22 उम्मीदवारों को सफलता मिली। इस इलाके के बाकी दो सीटों में एक कांग्रेस और एक बसपा को मिली। कांग्रेस ने प्रदेश में यही एक मात्र सीट जीती। प्रदेश के उत्तर-पूर्वी इलाके के 17 सीटों में बीजेपी को 13, सपा को 1, और बसपा को 3 सीटों पर सफलता मिली। वहीं दक्षिण -पूर्वी इलाके के 8 सीटों पर बीजेपी को 4 और सपा को 2 और अन्य को भी 2 सीटों पर सफलता मिली। पश्चिमी उत्तरप्रदेश के 17 सीटों पर बीजेपी को 14 सीटों पर सफलता मिली जबकि बाकी 3 सीटों में 2 सीटें बसपा को और एक पर सपा को जीत मिली। प्रदेश के रोहिलखंड इलाके की बात करें तो यहाँ बीजेपी को 10 में 5, सपा को 3 और बसपा को 2 सीटों पर विजय प्राप्त हुआ।
Lok Sabha 2019 में सीटों का समीकरण
जैसा कि हम पहले कह चुके हैं प्रदेश में जाती का रोल महत्वपूर्ण होता है। Lok Sabha चुनाव परिणाम 2019 भी इससे अछूता नहीं रहा। इस चुनाव में बीजेपी-अपना दल की एनडीए गठबंधन को 50.76 फीसदी वोट मिले थे तो सपा-बसपा और आरएलडी के गठबंधन को महज 38.89 फीसदी वोट मिले लेकिन अकेले लड़ी कांग्रेस ने 6.31 फीसदी वोट हासिल किया था। जातिगत आंकड़ों को समझने के लिए मीडिया रिपोर्ट और चुनाव आयोग के इन संयुक्त आंकड़ों को देखिए।
ब्राह्मण
- BJP और उसके सहयोगियों – 82%
- कांग्रेस – 6%
- सपा-बसपा गठबंधन – 6%
- अन्य – 6%
राजपूत
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 89%
- कांग्रेस – 5%
- सपा-बसपा गठबंधन – 7%
वैश्य
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 70%
- कांग्रेस – 13%
- सपा-बसपा गठबंधन – 7%
- अन्य – 13%
ओबीसी (यादव )
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 23%
- कांग्रेस – 5%
- सपा-बसपा गठबंधन – 60%
- अन्य – 12%
OBC( कोइरी -कुर्मी )
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 80%
- कांग्रेस – 5%
- सपा-बसपा गठबंधन – 14%
- अन्य – 1%
ओबीसी (अन्य)
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 72%
- कांग्रेस – 5%
- सपा-बसपा गठबंधन – 18%
- अन्य – 5%
जाटव
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 17%
- कांग्रेस – 1%
- सपा-बसपा गठबंधन – 75%
- अन्य – 7%
अनुसूचित जाती (अन्य )
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 48%
- कांग्रेस – 7%
- सपा-बसपा गठबंधन – 42%
- अन्य – 3%
जाट
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 91%
- कांग्रेस -2%
- सपा-बसपा गठबंधन -7%
जाट (अन्य )
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 84%
- कांग्रेस -5%
- सपा-बसपा गठबंधन -10%
मुस्लिम
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 8%
- कांग्रेस -14%
- सपा-बसपा गठबंधन -73%
- अन्य -5%
अन्य
- बीजेपी और उसके सहयोगियों – 50%
- कांग्रेस -1%
- सपा-बसपा गठबंधन -35%
- अन्य -14%
(जानकारियां अलग अलग सोर्स से जुटाए गए है तो गणितिय गणना के कारण आंकड़ों में परिवर्तन हो सकता है।)
कैसे पार लगेगी बीजेपी की 80 पार की नैया ?
अब अंत में बात करते हैं यूपी के Lok Sabha में बीजेपी के 80 में 80 सीटें जीतने के पीछे क्या प्लान हैं। कैसे पार्टी इस लक्ष्य को आसानी से पार कर सकती है या विपक्ष बीजेपी के इस महत्वाकांक्षा पर पानी फेरने में कामयाब हो जाएगा। यूपी में लोकसभा के मद्देनजर हुए चुनावी सर्वे में इस बात खुलासा हुआ है कि पार्टी का दबदबा इस चुनाव मे भी कायम रहेगा। बजपी का मजबूत पक्ष ब्रांड मोदी की विश्वसनीयता पर यह मुकाम हासिल कर सकती हैं। वहीं मोदी पर अत्यधिक निर्भरता और जीत का अति आत्मविश्वास के बीच वर्तमान प्रत्याशियों से जनता की नाराजगी परिणाम में परिवर्तन कर सकती है।