लखनऊ नगर निगम में इस समय काफी खींचतान मची हुई है या यूं कहें घमासान मचा हुआ है। लखनऊ मंडलायुक्त लखनऊ नगर निगम में फैली खामियों को दूर करने में लगी हुई हैं। लेकिन नगर निगम के अधिकारी उसमें कोई रुचि नहीं ले रहे है। लखनऊ मंडलायुक्त लगातार नगर आयुक्त को पत्र लिखकर कई मुद्दों पर सवाल कर रही हैं पर उपयुक्त जवाब ना मिलने पर फिर से पत्र लिखने को मजबूर है।
आम जनता को हुई परेशानी
आपको बता दें कि फरवरी माह में मंडलायुक्त में नगर निगम के नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह व जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार को एक पत्र लिखा था क्योंकि उस समय नगर निगम में प्रशासक नियुक्त थे। जिसके चलते इन दोनों अधिकारियों को मंडलायुक्त ने पत्र लिखकर कहा था कि लखनऊ में कूड़ा निस्तारण का काम देखने वाली इकोग्रीन कंपनी बेहतर काम नहीं कर रही है। जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है साथ ही कूड़ा उठान का काम नगर निगम को खुद करना पड़ रहा है।
ऐसी स्थिति में मेमर्स इकोग्रीन की सेवा निरस्त करने का नोटिस जारी किया जाए और शहर की साफ सफाई की व्यवस्था को देखते हुए सक्षम एजेंसी के चयन के लिए टेंडर निकालने का निर्देश भी दिया था। लेकिन लगभग 3 महीने का समय बीत जाने के बाद भी पत्र पर कोई कार्यवाही ना होने पर मंडलायुक्त ने एक बार फिर नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इकोग्रीन पर कार्यवाही ना होने का कारण पूछा साथ ही मंडलायुक्त ने यह भी पूछा कि अब तक इस मामले में क्या कार्यवाही हुई।
वर्तमान समय में खटारा वाहनों से चला रहे है काम
आपको बता दें एक सप्ताह के भीतर मंडलायुक्त का नगर निगम को यह दूसरा पत्र है। कुछ दिन पहले ही मंडलायुक्त ने नगर निगम नगर आयुक्त को पत्र लिखकर सफाई वाहनों के लिए दिए गए 30 करोड़ रुपये का हिसाब मांगा था। यह पैसा सफाई वाहनों की खरीद के लिए 15वें वित्त, स्मार्ट सिटी व स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम को दिया गया था पर वर्तमान समय में भी पुराने खटारा वाहनों से ही काम चल रहा है।
ऐसे में मंडलायुक्त ने नगर निगम से तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा था अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि राजधानी को प्रदेश के अन्य शहरों के लिए मॉडल के रूप में लखनऊ स्मार्ट सिटी बन कर खड़ी हो इस पर काम कर रही मंडलायुक्त के सपने को कौन चकनाचूर कर रहा है। हालांकि नगर निगम लगातार भ्रष्टाचार की चपेट में बना हुआ है 22 अरब बजट वाला नगर निगम 300 करोड़ से ज्यादा के घाटे में चल रहा है ऐसे में अगर जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाएंगे तो फिर राजधानी स्मार्ट कैसे दिखेगी।