Cyber Fraud : लखनऊ पुलिस ने एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का खुलासा किया है, जो युवाओं के बैंक खातों का इस्तेमाल कर USDT के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग कर रहा था। यह गिरोह ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट और फर्जी नौकरी का लालच देकर लोगों से मोटी रकम ठगता था। पुलिस ने इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गहन जांच जारी है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी के मामले में एक साथ कई लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए लोग एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है. जांच में सामने आया कि ज्यादातर युवा अपने बैंक अकाउंट का उपयोग अवैध धन के लेनदेन के लिए कर रहे हैं. युवाओं के खातों में क्रिप्टोकरेंसी, और USDT के जरिए ट्रांजेक्शन किया जा रहा है. जांच में सामने आया कि ये नेटवर्क ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट और फर्जी नौकरियां लगवाने के नाम पर किया जा रहा है. यह नेटवर्क क्रिप्टोकरेंसी और फर्जी ऑनलाइन योजनाओं से जुड़ा हुआ है.
लखनऊ पुलिस ने कुछ दिन पहले 24 साल के एक रेस्टोरेंट वेटर अजय को गिरफ्तार किया था. अजय को से पूछताछ के बाद ही कई खुलासे हुए हैं. अजय ने बताया कि एक दोस्त ने उसे क्रिप्टो ट्रेडर से मिलवाया था. ट्रेडर ने एक दिन के लेनदेन के लिए अजय का बैंक अकाउंट इस्तेमाल करने के लिए 20 हजार रुपये दिए थे.
पूछताछ में अजय ने उगले कई राज
पुलिस ने जब अजय से सख्ती के साथ पूछताछ की तो वह टूट गया. इसके साथ ही अजय सरकारी गवाह बन गया. इसके बाद उसने लखनऊ में संचालित होने वाले इस पूरे साइबर गिरोह की कुंडली खोल दी. इसके साथ ही पढ़ने में भी पुलिस की मदद की. 3 महीनों की जांच में सामने आया कि दर्जनों लोगों को इस ग्रुप ने अपना निशाना बनाया था. इनके जरिए ही पूरा पैसा यहां से वहां किया जाता था.
छोट कामगारों को बनाया निशाना
इस ग्रुप ने ऐसे लोगों को निशाना बनाया जो आसानी से इनके जाल में फंस सकें. खास छोटी दुकानों और रेस्टोरेंट में काम करने वाले लड़के इनके निशाने पर रहे. इसके अलावा कुछ कॉलेज के छात्र भी इस पूरे रैकेट में पाए गए हैं. बैंक अकाउंट यूज करने के बदले इन लोगों को 10 हजार से लेकर 30 हजार रुपये तक दिए जाते थे.
कैसे करता था पूरा नेटवर्क काम
पुलिस के अनुसार, ये गतिविधियां चीनी संचालकों या उनके चीनी भाषा में प्रॉक्सी की तरफ से संचालित एन्क्रिप्टेड टेलीग्राम चैनलों पर संचालित होती हैं. स्थानीय एजेंट खाते की जानकारी और और दस्तावेज़ एकत्र करते हैं. लेन-देन के दिनों में, बड़े NEFT, RTGS या IMPS ट्रांसफर के तुरंत बाद, म्यूल खाताधारकों को नकदी निकालने के लिए बैंकों में ले जाया जाता है. इसके बाद फिर नकदी क्रिप्टो ब्रोकरों को सौंप दी जाती है, जो इसे विकेंद्रीकृत, गैर-केवाईसी वॉलेट का उपयोग करके USDT में बदल देते हैं. इस पूरे नेटवर्क में Binance ऐप का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया है.
पिछले दो महीनों में ही, लखनऊ पुलिस ने ऐसे खातों के जरिए ₹5 लाख से ₹5 करोड़ तक की मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाया है. इसके साथ ही सारा पैसा USDT में बदलकर विदेश भेजा गया है.
60 से ज्यादा लोगों से पूछताछ जारी
पुलिस को चिंता इस बात की है कि पुराने लखनऊ के चौक, इंदिरा नगर, मड़ियांव, मलिहाबाद और बख्शी का तालाब जैसे इलाकों के साथ-साथ सुशांत गोल्फ सिटी, वृंदावन योजना और उपनगरीय मोहनलालगंज, गोसाईगंज जैसे हाल ही में विकसित हुए इलाकों में म्यूल खातों का जमावड़ा है. पुलिस ने इन इलाकों से लगभग 60 युवकों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया है. हालांकि लखनऊ पुलिस ने ऐसे कई मामलों का पर्दाफाश किया है और पैटर्न की पहचान की है, लेकिन अधिकारी मानते हैं कि इनका दायरा बहुत बड़ा है.