लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। सीएम योगी आदित्यनाथ और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर एक्शन लेने वाले 1992 के आईपीएस जसबीर सिंह को सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। जसबीर पर बयानबाजी, अनुशासनहीनता जैसे आरोप थे और वह 2019 से सस्पेंड चल रहे थे। आईपीएस अफसर ने सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति के यहां अपील दायर की है। वहां मामला सुनवाई में है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, साल 2019 में आईपीएस जसबीर सिंह (IPS Jasbir Singh) ने एक निजी वेबसाइट को इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने सरकार की नीतियों व कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े करते हुए बयान दिए थे। साथ ही एनकाउंटर नीति, अफसरों के तबादले और तैनाती सहित कई बिंदुओं खुलकर अपनी बात रखी थी। उन्होंने इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि सरकार उन्हें बिना काम के सैलरी दे रही है। रूल्स ऐंड मैनुअल्स में कोई काम नहीं है इसके बावजूद वहां स्टाफ को बैठाकर वेतन दिया जा रहा है।
पुलिस की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया
इंटरव्यू के बाद जब मामले की जानकारी हुई तो पुलिस महकमे की तरफ से उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। तब वह छुट्टी पर चले गए। उन्होंने छुट्टी पर जाने के लिए वरिष्ठ अधिकारी से अनुमति भी नहीं ली और न ही जवाब दिया, जिसके बाद 14 फरवरी 2019 को उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद भी वह मुखर होकर सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलते रहे। पीएम नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा। जिसके बाद उन्हें पुलिस की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। फिलहाल उन्होंने इसके खिलाफ राष्ट्रपति के पास याचिका दायर की हुई है।
जसबीर सिंह को संगीत का शौक
एसपी प्रतापगढ़ और फूड सेल में रहने के दौरान रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर शिकंजा कसने को लेकर भी जसबीर सिंह काफी चर्चा में रहे थे। एडीजी होमगार्ड के पद पर तैनाती के दौरान भी उन्होंने वहां भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद उन्हें होमगार्ड से हटाकर एडीजी रूल्स ऐंड मैनुअल्स के पद पर तैनाती दे दी गई थी। जसबीर सिंह को संगीत का शौक है। उनके म्यूजिक अलबम भी बाजार में आ चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि विभिन्न आरोपों पर की गई जांच के दौरान जसबीर के जवाब से शासन संतुष्ट नहीं था। इसके आधार पर उन्हें सेवामुक्त करने का फैसला किया गया है।
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सीएम योगी को किया था अरेस्ट
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जसवीर सिंह (IPS Jasbir Singh) ने 17 साल बतौर महाराजगंज एसएसपी रहते हुए तत्कालीन गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ को सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के लिए गिरफ्तार किया था। उस दौरान एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले को लेकर योगी ने सड़क जाम किया था। पुलिस ने हटाने की कोशिश की तो योगी और उनके कार्यकर्ता पुलिस से भिड़ गए। इसके बाद पूरे जिले में दंगे भड़क उठे। इस मामले में योगी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उन्हें 11 दिन तक जेल में रहना पड़ा और स्थिति सामान्य होने के बाद ही छोड़ा गया। इसके बाद जसवीर को महाराजगंज में नियुक्ति के महज 16 दिनों बाद ही हटाकर फूड सेल भेज दिया गया।
राजा भैया को किया था अरेस्ट
आईपीएस जसवीर सिंह (IPS Jasbir Singh) की छवि एक निर्भीक और ईमानदार अधिकारी की है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ ही नहीं बल्कि उन सभी के खिलाफ उतनी ही सख्ती से कार्रवाई की जिन्हें उन्होंने कहीं भी कोई भी गलत काम करते पाया। आईपीएस अफसर ने 2007 में मायावती की सरकार के कार्यकाल के दौरान कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को उनके घर से अरेस्ट कर जेल भेजा था। इस कार्रवाई के बाद उनका प्रतापगढ़ से तबादला कर दिया गया। उस वक्त वह प्रतापगढ़ के एसपी थे।
खाद्यान्न चोरी की शिकायतों की छानबीन
फूड सेल में अपनी तैनाती के दौरान आईपीएस जसवीर सिंह ने खाद्यान्न चोरी की शिकायतों की छानबीन शुरू कर दी। लखीमपुर खीरी के एक मामले से शुरू हुई जांच में मालूम चला कि हजारों करोड़ का राशन दूसरे प्रदेशों को ही नहीं, दूसरे देशों में भी भेजा जा रहा था। उन्होंने दस्तावेजों के साथ सारा मामला सरकार को सौंपकर सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। इस मामले में जांच की सुई तत्कालीन एसपी महासचिव अमर सिंह और बाहुबली राजा भैया की ओर इशारा कर रही थी।