Cycling monk at Mahakumbh : महाकुंभ 2025 में कई अद्भुत चीजें देखने को मिल रही हैं, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा चर्चा में हैं साइकिल वाले बाबा। यह नाम सुनकर ही उत्सुकता बढ़ जाती है। साइकिल वाले बाबा की कहानी न सिर्फ अनोखी है, बल्कि उनके जीवन का संदेश भी प्रेरणादायक है। बाबा ने साइकिल को न केवल अपनी यात्रा का साधन बनाया है, बल्कि उसे ही अपना आश्रम बना लिया है।
साइकिल ही बाबा का आश्रम
साइकिल वाले बाबा अपने नाम के मुताबिक हमेशा साइकिल पर ही रहते हैं। यह साइकिल उनके लिए केवल सवारी का साधन नहीं है, बल्कि उनका पूरा आश्रम है। बाबा इसे एक चलते फिरते मंदिर की तरह सजाए रखते हैं। इसमें भगवान की मूर्तियाँ, ध्वज, और अन्य धार्मिक वस्तुएँ लगी होती हैं। लोग उनकी साइकिल को देखकर उनके प्रति आकर्षित होते हैं और उनकी कहानी सुनने के लिए खिंचे चले आते हैं।
धर्म और साइकिल का अनोखा संगम
साइकिल वाले बाबा का मानना है कि साइकिल चलाना न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह साधना का भी एक रूप है। वे कहते हैं कि साइकिल चलाने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं, जो आध्यात्मिक यात्रा में सहायक होता है। बाबा का यह दृष्टिकोण महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहा है।
लोगों के बीच बढ़ती लोकप्रियता
महाकुंभ में आने वाले लोग साइकिल वाले बाबा को देखकर हैरान होते हैं। उनकी सादगी और अनोखा अंदाज सबका ध्यान खींच रहा है। बाबा अपनी साइकिल पर ही बैठकर ध्यान और पूजा करते हैं। श्रद्धालु उनकी इस अनोखी जीवनशैली से प्रेरणा ले रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्रेरित हो रहे हैं।
साइकिल वाले बाबा का संदेश
बाबा का संदेश सीधा और सरल है प्रकृति से जुड़ो, सादगी से जियो और आध्यात्मिकता को जीवन का हिस्सा बनाओ। वे यह भी कहते हैं कि महाकुंभ जैसे आयोजन केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं हैं, बल्कि यह प्रकृति और मानवता से जुड़ने का एक माध्यम हैं
साइकिल वाले बाबा ने महाकुंभ 2025 में अपने अनोखे अंदाज से लोगों का दिल जीत लिया है। उनकी साइकिल और उनकी विचारधारा दोनों ही एक गहरी सीख देते हैं। बाबा का जीवन हमें सादगी, पर्यावरण प्रेम और आध्यात्मिकता का महत्व सिखाता है। जिससे श्रद्धालु प्रेरित हो रहे हैं। और उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है।