Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इस आयोजन से जुड़ी एक खास रिसर्च सामने आई है। बीएचयू, एनबीआरआई और एसएन त्रिपाठी मेमोरियल फाउंडेशन के वैज्ञानिकों का कहना है कि कुंभ स्नान एक तरह का प्राकृतिक टीकाकरण है। जो श्रद्धालु सभी प्रमुख स्नान करते हैं, उनमें हर्ड इम्युनिटी यानी समूह प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, और उनकी रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है।
रिसर्च में सामने आई अहम बातें
2013 में बीएचयू, एनबीआरआई और एसएन त्रिपाठी मेमोरियल फाउंडेशन के वैज्ञानिकों ने कुंभ स्नान पर रिसर्च की थी। उन्होंने पाया कि कुंभ के पानी में नहाने से श्रद्धालुओं के शरीर में हर्ड इम्युनिटी बढ़ती है। यही परिणाम 2019 के अर्धकुंभ में भी सामने आए थे। इस साल के महाकुंभ में भी वैज्ञानिक इसी रिसर्च को दोहरा रहे हैं।
कैसे की गई रिसर्च
डॉ. वाचस्पति त्रिपाठी, जो इस रिसर्च का हिस्सा रहे हैं, बताते हैं कि 2013 में संगम स्थल और उसके आसपास से 765 पानी के नमूने लिए गए। इसके अलावा, एक हजार श्रद्धालुओं के ब्लड सैंपल भी लिए गए। इन सैंपल्स पर किडनी फंक्शन, लिवर फंक्शन, सीबीएस, और टायफाइड जैसी बीमारियों की जांच की गई।
जांच में पाया गया कि कुंभ के पानी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु श्रद्धालुओं के शरीर में इम्युनोग्लोब्युलिन बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि संक्रमण का खतरा भी कम होता है।
सभी स्नान क्यों जरूरी हैं
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह लाभ केवल उन्हीं श्रद्धालुओं को मिलता है जो सभी छह प्रमुख स्नानों में हिस्सा लेते हैं। ये स्नान हैं:
पौष पूर्णिमा
मकर संक्रांति
मौनी अमावस्या
बसंत पंचमी
माघी पूर्णिमा
महाशिवरात्रि
कुंभ में स्नानों अमृत समान
कुंभ स्नान न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी फायदेमंद है। लेकिन इसका लाभ पाने के लिए सभी छह प्रमुख स्नानों में हिस्सा लेना जरूरी है। वैज्ञानिक इसे अमृत समान मानते हैं।