Amrit Snan in Prayagraj प्रयागराज में महाकुंभ का तीसरा और आखिरी अमृत स्नान 2 फरवरी से शुरू हुआ और 3 फरवरी को खत्म हो गया। यह स्नान खासतौर पर बसंत पंचमी के दिन हुआ, जो हिंदू पंचांग के हिसाब से दो दिन चलता है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया और पुण्य कमाया। अब शाही स्नान के बाद अखाड़ों के संत और नागा संन्यासी अपने अपने डेरों की ओर लौटने की तैयारी में हैं। अगले महाकुंभ तक, यानी 2031 में , ये संत फिर से प्रयागराज आएंगे।
अखाड़ों को शाही स्नान का मिला समय
महाकुंभ प्रशासन ने अखाड़ों को शाही स्नान के लिए सुबह का समय तय किया था। इस मौके पर नागा संन्यासी और साधु संत अपने पारंपरिक वस्त्रों और साज।सज्जा के साथ स्नान के लिए पहुंचे। रथों, हाथियों, ऊंटों और घोड़ों पर सवार संतों का जुलूस संगम तट पर देखा गया, जो बड़ी धूमधाम से हुआ। स्नान के बाद संतों ने अपने शिविरों में पूजा की और अब वे लौटने की तैयारी में हैं।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने दी जानकारी
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि यह बसंत पंचमी का अंतिम शाही स्नान था। अब सभी संत वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे संगम घाट पर ज्यादा भीड़ न बढ़ाएं। इस शाही स्नान में करीब 5000 से 6000 नागा संन्यासी शामिल हुए थे। प्रशासन ने संतों की वापसी के लिए सारी जरूरी व्यवस्थाएं पहले से ही कर दी थीं।
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शाही स्नान के दौरान अखाड़ों का धूमधाम
शाही स्नान के दौरान, अखाड़े अपने देवताओं की मूर्तियां और प्रतीक चिन्ह लेकर संगम पहुंचे। महामंडलेश्वरों ने रथों पर सवार होकर जुलूस का नेतृत्व किया। जूना अखाड़े के स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि यह दिन विशेष रूप से पवित्र है, और हम सुबह 4:30 बजे संगम के लिए निकले थे। उन्होंने इसे देवी सरस्वती के दिन से जोड़ते हुए इसके आध्यात्मिक महत्व को बताया।
महाकुंभ शिवरात्रि तक जारी रहेगा
बसंत पंचमी के शाही स्नान के बाद, अब अखाड़ों के संत अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो चुके हैं। हालांकि, श्रद्धालुओं का मेला क्षेत्र में आना जाना जारी रहेगा। महाकुंभ मेला 26 फरवरी तक जारी रहेगा, जब शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस समय तक श्रद्धालु पुण्य कमाने के लिए आते रहेंगे।
सुरक्षा व्यवस्था रही मजबूत
अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए गए थे। संतों के जुलूस को सुरक्षा के बीच संगम घाट तक पहुंचाया गया।
अध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने भी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे पहले बच्चों और बुजुर्गों को स्नान करवा लें, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो।
बसंत पंचमी और देवी सरस्वती की पूजा
बसंत पंचमी माघ मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे से शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे खत्म हुई। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा का खास महत्व है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था, और यह विद्या व ज्ञान का पर्व माना जाता है।