Prayagraj : महाकुंभ 2025 के शुभारंभ के साथ ही प्रयागराज में धार्मिक आस्था का महासागर उमड़ पड़ा है। पहले स्नान पर्व पर जो पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित किया गया है. उसमें ही लगभग करीब 80 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
पहले दिन की मुख्य झलकियां
संगम तट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी थी। साथ ही साथ सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, जिसमें 15,000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। स्नान के लिए भी अलग-अलग घाटों पर 40 से ज्यादा व्यवस्थाएं की गई थीं, जिनमें महिला और बुजुर्गों के लिए खास प्रबंध शामिल है।
जानें पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु भोर से ही मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन के बीच स्नान के लिए उमड़ पड़े।
नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ता प्रयागराज
प्रशासन का अनुमान है कि पौष पूर्णिमा के अवसर पर यह संख्या रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है। महाकुंभ में इस बार 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रशासन ने स्नान के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए उच्च स्तरीय इंतजाम किए हैं।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं
300 से अधिक मेडिकल कैंप और एंबुलेंस की व्यवस्था है। स्नान घाटों पर स्वच्छता और जल शुद्धिकरण के लिए विशेष टीमें तैनात है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बस और ट्रेन सेवाओं में बढ़ोतरी की गई है। बता दें, कि हरिद्वार से आए एक श्रद्धालु, राजेश मिश्रा, ने कहा, “यह अनुभव शब्दों से परे है। संगम में डुबकी लगाने से आत्मा को शांति और ऊर्जा मिलती है।” वहीं, वाराणसी की साध्वी सुरेखा ने इसे “ईश्वर की कृपा” बताया है।
महाकुंभ न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस बार कई विदेशी पर्यटकों को भी इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनते देखा गया। आने वाले दिनों में मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या जैसे प्रमुख स्नान पर्वों पर भी लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। प्रशासन और श्रद्धालु दोनों ही इस महापर्व को ऐतिहासिक बनाने के लिए तत्पर हैं।