Maha Kumbh 2025 : संगम नगरी प्रयागराज में विशाल और दिव्य धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। महाकुंभ के प्रारंभ होते ही अखाड़ों की सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया और इसके बाद अखाड़ों के कामकाज को देखने वाली कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया। अब, अखाड़ों की व्यवस्था की देखरेख के लिए राष्ट्रपति शासन के समान पंचायती व्यवस्था को लागू किया गया है।
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी और यह 26 फरवरी 2025 तक जारी रहेगा। अखाड़ों की सरकार के कार्यकाल के खत्म होने के बाद फिलहाल पंचायती व्यवस्था अखाड़ों के आंतरिक कामकाज को देखेगी। महाकुंभ के दौरान ही नई सरकार का चुनाव होगा, जो 6 साल तक कार्यरत रहेगी।
अखाड़ों के लिए रखी गई ये प्रणाली
अखाड़ों की अपनी एक अलग कानूनी और संगठनात्मक व्यवस्था होती है। संन्यासी परंपरा के तहत 7 प्रमुख अखाड़ों में नागा संन्यासी, महामंडलेश्वर और हजारों सदस्य होते हैं। इन अखाड़ों के संगठन को चलाने के लिए आठ महंतों की अष्टकौशल प्रणाली पर निर्भर किया जाता है, जिन्हें चुनाव के माध्यम से चुना जाता है। इन महंतों की मदद के लिए आठ उप महंत भी होते हैं और 16 सदस्यीय समिति अन्य पदों का चुनाव करती है।
यह भी पढ़ें : लगी ‘मुहर’ अब बबलू श्रीवास्तव के बहुरेंगे दिन, जानिए कैसे 28 साल बाद जेल से बाहर आएगा…
महाकुंभ की शुरुआत के साथ ही अष्टकौशल और अन्य कार्यकारिणियों का कार्यकाल समाप्त हो गया। अब महाकुंभ के पूरे आयोजन में पंचायती परंपरा के आधार पर फैसले लिए जाएंगे। जब अखाड़े छावनी में प्रवेश करते हैं, तो कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त मान लिया जाता है और उसके बाद कुंभ मेले की व्यवस्था ‘चेहरा मोहरा’ प्रणाली द्वारा की जाती है। इसमें सभी महंत एक साथ बैठकर चर्चा करते हैं और आवश्यक विषयों पर निर्णय लेते हैं। अखाड़ों में महत्वपूर्ण निर्णय पंचों द्वारा लिए जाते हैं, इसी कारण कई अखाड़ों के नाम में ‘पंचायती’ शब्द जुड़ा होता है, जैसे पंचायती अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़ा, तपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा, और पंचायती अखाड़ा आनंद।