मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है।दोनों समुदाय के बीच हो रही हिंसा को करीब दो महीने वाले हैं। हिंसा की वजह से 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वही हजारों की संख्या में लोग घर-बार छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हो गए है। राज्य की स्थिति पर केंद्र सरकार नजर बनाए हुए है। इसी कड़ी में सीएम एन बीरेन सिंह ने रविवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उन्होंने शाह से मुलाकात कर उन्हें स्थिति की जानकारी दी। इसके साथ ही गृह मंत्री ने राज्य में हिंसा पर चिंता व्यक्त की है।
क्या बोले सीएम
खबरों के मुताबिक अमित शाह इंफाल घाटी के बाहरी क्षेत्रों में हिंसा के बाद अब जिलों में नागरिकों के बीच अशांति फैलने को लेकर परेशान है। इसके साथ ही एन बीरेन सिंह ने शाह को राज्य के हाल के बारे में बताया कि राज्य एवं केंद्र सरकार हिंसा को “काफी हद तक नियंत्रित करने में सफल हुई है।
सीएम बीरेन सिंह न कहा कि “हिंसा का शुरुआती दौर बेहद संवेदनशील था। साथ ही राजनीति से प्रेरित था। लेकिन अब ये क्या हो रहा है ये हम नहीं कह सकते। राज्य की स्थिति बहुत अराजक है। उन्होंने बताया कि शाह ने आश्वासन दिया है कि केंद्र सरकार मणिपुर में हिंसा खत्म करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
क्यों हुई मणिपुर में हिंसा?
मणिपुर में हिंसा शुरु हुई 3 मई से, जब मैतई समाज और कुकी समुदाय के बीच विवाद हो गया। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला गया। इसी रैली में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा हो गई। शाम तक हालात बद से बद्दतर हो गए और राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। आपको बता दें, रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी।
मैतई समुदाय लंबे समय से एसटी के दर्जे की मांग कर रहे हैं। इसके बाद मणिपुर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा, इसके लिए अदालत ने चार हफ्ते का समय दिया। इसके बाद नागा और कुकी समाज भड़क गए।