माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। बता दें कि शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इसे शनैश्चरी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इस साल मौनी अमावस्या आज यानी 21 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन दान धर्म कार्यों से यज्ञ और कठोर तपस्या से फल की प्राप्ती होती है। अमावस्या के दिन स्नान और दान का भी काफी महत्व है। क्योंकि इसे शनैचरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है ऐसे में इस दिन दान करने से शनि के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ती हुई। हिंदू पंचांग के मुताबिक, मौनी आमावस्या 21 जनवरी 2023 को सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 22 जनवरी को रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के मुताबिक, मौनी अमावस्या आज ही मनाई जा रही है। बता दें कि स्नान और दान के लिए मौनी अमावस्या को काफी शुभफ माना जाता है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठकर पवित्र नदि में स्नान करना चाहिए। इस दिन स्नान से अक्षय पुण्य की प्राप्ती होती है। अगर आप किसी पवित्र नदि में स्नान नहीं कर सकते हैं तो कोशिश करें कि आपके घर में अगर कुछ बूंद गंगाजल की हो तो उसे पानी में मिलाकर स्नान करें।
20 साल बाद बना ऐसा संयोग
आपको पता हो कि आज साल की पहली शनैश्चरी आमावस्या है ऐसा बहुत कम बाकर होता है जब अमावस्या शनिवार को पड़े। आज से करीब 20 साल पहले 1 फरवरी 2003 को शनिवार के दिन माघ अमावस्या पड़ी थी। बता दें कि ऐसा दुर्लभ संयोग अब से 6 साल बाद 2027 में देखने को मिलेगा।
मौनी अमावस्या का महत्व
कई जगह ऐसा भी देखने को मिलता है कि मौनी अमावस्या के व्रत में मौन धारण करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, मुंह से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है। उससेकहीं गुना ज्यादा पुण्य मौन रहकर जाप करने से मिलता है। अगर दान से पहले सवा घंटे तक मौन रख लिया जाए तो दान का फल 16 गुना अधिक बड़ जाता है और मौन धारण कर व्रत का समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के भी उपाय किए जाते हैं। जब आप मौनी अमावस्या का स्नान करले, उसके बाद पितृ दोष से मुक्ति का अपाय करें। पितृ स्तोत्र का पाठ करने से पितृ दोष मिटता है। पितृ दोष होने की वजह से व्यक्ति की उन्नति नहीं होती है, संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिल पाता है। परिवार में हमेशा क्लेश रहता है, अशांती रहती है। कार्यों में सफलता नहीं मिलती है, जो कार्य शुरू करते हैं, वह अटक सा जाता है। पितृ दोष आपके सितारे के कारण होता हैं। जब आपके पितर नाराज रहते हैं तोवे आपको श्राप देते हैं. उनके श्राप के कारण जीवन में कई प्रकार की समस्याएं होती है.
पितृ दोष के जानिए क्या है उपाय
तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कृमार भार्गव का कहना है कि पितरों के आत्म तृप्ति के लिए पितृपक्ष होता है, इसके अलावा आप अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों पर पितरों को तृप्त कर सकते हैं. जब पितर आपसे प्रसन्न रहते हैं तो पितृदोष उत्पन्न नहीं होगा. पितृदोष से मुक्ति के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आज मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद आप पितरों को जल से तर्पण करें. उसके बाद उनका पिंडदान करें. यदि किसी पितर का श्राद्ध कर्म नहीं हुआ है तो श्राद्ध करें.