लखनऊ। I.N.D.I.A. गठबंधन की चौथी बैठक खत्म होते ही मायावती एक्शन मोड में दिखाई दे रही हैं. अब इनके निशाने पर कोई और नहीं है, उनका मुंहबोला भतीजा यानी उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव है. क्योंकि बीएसपी प्रमुख मायावती को पता हैं कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भले कहे कि वो मोदी सरकार के खिलाफ एक साथ है. लेकिन मध्य प्रदेश में अखिलेश के साथ जो कांग्रेस ने किया. उसके बाद लयूपी में अखिलेश यादव इसका बदला जरूर लेना चाहेंगे. ऐसे में मायावती कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में कमज़ोर करने की पूरी कोशिश करेंगी और इसका इशारा भी उन्होंने गुरुवार को अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर दिया.
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दल में शामिल होने से मायावती ने किया था मना
बता दें कि पहले मायावती कई बार कह चुकी हैं कि वो ना तो I.N.D.I.A. और NDA गठबंधन में शामिल नहीं होंगी. क्योंकि दोनों वंचितों का अधिकार छीनने वाली है. लेकिन अब राजनीति का ये वाक्य खूब चर्चा में आ रहा है कि कभी कोई भी किसी दल के साथ आ सकता है और चुनाव लड़ सकता है. शायद मायावती समझ चुकी हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैजिक को रोकने मुश्किल है. ऐसे में प्रदेश में अपने प्रतिद्वंदी अखिलेश यादव और उनकी पार्टी यानी एसपी को जितने हो सके मज़बूत होने से रोका जाए. ऐसे में कांग्रेस का साथ देने से भी मायावती परहेज नहीं करेंगे.
बसपा प्रमुख मायावती का राजनीतिक करियर
अगर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और बसपा प्रमुख सुश्री मायावती के राजनीतिक करियर की बात करें तो. दरअसल देश की सबसे बड़ी लोकसभा सीट (80) के लिहाज से यूपी बहुत ही महत्वपूर्ण है. यहां पर 21 फिसदी दलितों का सबसे बड़ा चेहरा मायावती हैं. वहीं मायावती को लेकर राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा रहती है कि वो अपने पत्ते चुनाव के नजदीक आने पर खोलती हैं. वहीं 2024 आम चुनाव होने में अब महीनों का ही समय बचा है, ऐसे में मायावती का ये रूख कि वो आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगी अब नर्म पड़ता जा रहा है. कहा जा सकता है कि कांग्रेस को यूपी में बसपा का सहारा मिल सकता है.
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