Tragic Incident in Meerut: मेरठ के साकेत क्षेत्र के शर्मा नगर में मंगलवार देर रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। पुलिस लाइन में तैनात हेड कांस्टेबल विभोर पंवार अपने किराए के कमरे में आग लगने से जिंदा जल गए। देर रात कमरे से उठता धुआं देखकर पड़ोसी स्तब्ध रह गए। जब दरवाजा तोड़कर लोग अंदर पहुंचे, तो विभोर का शरीर लगभग पूरी तरह जल चुका था।
कैसे हुआ हादसा
शामली के नाला गांव के रहने वाले 2011 बैच के हेड कांस्टेबल विभोर पंवार करीब दो महीने पहले शर्मा नगर में किराए के घर में रहने आए थे। उनके साथी हेड कांस्टेबल सतीश फिलहाल छुट्टी पर थे। सोमवार रात ड्यूटी से लौटने के बाद लगभग 10 बजे विभोर ने कमरे में बीड़ी जलाई। उसी दौरान रजाई में आग पकड़ ली। बताया जाता है कि उन्होंने आग बुझाने की कोशिश की और दूसरी रजाई ओढ़ ली। कुछ देर बाद उन्होंने अपनी पत्नी को फोन कर बताया भी कि रजाई में आग लग गई थी। शायद उस समय उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि आग इतनी खतरनाक हो जाएगी।
सुबह दिखा काला धुआं और खुली मौत की हकीकत
रात बीत गई, लेकिन सुबह करीब 3:30 बजे मकान मालिक संजय शर्मा ने कमरे से घना धुआं उठता देखा। उन्हें अनहोनी का शक हुआ और उन्होंने आसपास के लोगों को बुलाकर कमरे का दरवाजा तोड़वाया।
अंदर का दृश्य बेहद दर्दनाक था।विभोर की गर्दन के नीचे का लगभग पूरा शरीर जलकर कोयला हो चुका था। सूचना मिलते ही पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची। कमरे से एक खाली शराब की बोतल, पानी की बोतल, दो जली हुई रजाइयां और जला हुआ पलंग मिला। दरवाजा अंदर से बंद होने के कारण पुलिस ने इस घटना को स्पष्ट दुर्घटना माना है।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
घटना की सूचना मिलते ही पिता जयकुमार सिंह, भाई आशीष और अन्य रिश्तेदार मेरठ पहुंचे। पोस्टमॉर्टम के बाद पुलिस लाइन में अधिकारियों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
विभोर की जिंदगी पहले ही कई दर्दनाक झटके देख चुकी थी। उनकी पहली पत्नी की मौत एक वर्ष पहले हो गई थी। उनसे दो बच्चे हैं—8 साल की बेटी और 6 साल का बेटा शिवांश। हाल ही में उन्होंने दिल्ली की अंशू से दूसरी शादी की थी। उनके दोनों छोटे भाई निखिल और आशीष भारतीय सेना में कार्यरत हैं। परिवार और ग्रामीणों ने सरकार से आर्थिक मदद और आश्रित को नौकरी देने की मांग की है।
ईमानदारी और मिलनसार स्वभाव के लिए याद किया जाएगा
गांव वालों ने बताया कि विभोर बहुत सरल, मिलनसार और ईमानदार इंसान थे। गांव आते ही युवाओं को अच्छी राह की सीख देते थे। पढ़ाई में तेज होने के कारण उन्होंने कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी की थी। वह हर सप्ताह घर आकर परिवार के साथ समय बिताते थे।
