मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने के मामले में ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। दरअसल गुजरात की अदालत ने उन्हें 7 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है। गौरतलब है कि मोरबी पुल हादसे में आरोपी बनाए गए ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल ने मोरबी कोर्ट में सरेंडर किया था। इस मामले में जयसुख पटेल के खिलाफ 1,262 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई थी।
10 लोगों के खिलाफ कोर्ट में दाखिल की गई थी चार्जशीट
बता दें कि पुलिस द्वारा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें से 9 लोगों पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। लेकिन ओरेवा ग्रुप के निदेशक फरार चल रहे थे। पुलिस ने प्रबंधक दीपक पारेख, दो टिकट क्लर्क, दिनेश दवे, तीन सुरक्षा गार्ड और निजी संविदा कर्मियों को गिरफ्तार किया है, जो अब न्यायिक हिरासत में हैं।
ओरेवा समूह के खिलाफ आरोप लगा है कि उन्होंने उचित फिटनेस प्रमाण पत्र के बिना ही पुल जनता के लिए खोल दिया। वहीं इस मामले में नगर पालिका ने कहा कि हमने कंपनी को कोई फिटनेस प्रमाणपत्र जारी नहीं किया था। हमें यह भी सूचित नहीं किया गया था कि यह झूला पुल लोगों के लिए खोल रहे हैं। हादसे की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल ने कई चूक होने का जिक्र किया है।
कोर्ट ने मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों को मुआवजा देने के ओरेवा ग्रुप की पेशकश पर मंजूरी दी
वहीं गुजरात हाई कोर्ट बुधवार को मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों को मुआवजा देने के ओरेवा समूह की पेशकश पर सहमत हो गया। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि यह उसे किसी दायित्व से मुक्त नहीं करेगी। पिछले साल 30 अक्टूबर को हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी जबकि बहुत से लोग घायल हो गए थे। राज्य सरकार ने मच्छु नदी पर स्थित और ब्रिटिश शासन काल के दौरान बने इस केबल पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा समूह को सौंपी गई थी।
मामले में आरोपी बनाई गई कंपनी ने 135 मृतकों, 56 घायलों के परिजनों और अनाथ हुए सात बच्चों को मुआवजा देने की पेशकश की है। इस पर अदालत ने उसे एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह का कार्य ‘‘उसे किसी दायित्व से से मुक्त नहीं करेगा।’’