मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नंदा सप्तमी के रूप में मनाने की परंपरा है। इस दिन भगवान गणेश, सूर्यदेवता और मां नंदा की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं की आराधना से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है और तेजस्वी होने का वरदान मिलता है। नंदा देवी जगत जननी मां पार्वती का ही स्वरूप हैं। पूजा के अलावा इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस साल नंदा सप्तमी की तारीख, मुहूर्त और पूजा विधि।
नंदा सप्तमी का महात्व
नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य के लिए मित्र व्रत करने का वर्णन है। पुराणों के वर्णित हा कि कश्यप ऋषि के तेज और अदिति के गर्भ से मित्र नाम के सूर्य ने जन्म लिया था। इसलिए नंदा सप्तमी के दिन सूर्य के मित्र रूप की पूजा की जाती है। मान्यता है जो इस तिथि पर दिनभर व्रत रखकर, सूर्य की उपासना और फिर ब्राह्मण भोजन करवाता है उसके आत्मविश्वास और आयु में वृद्धि होती है और बीमारियों से छुटकारा मिलता है। तमाम तरह के दोषों का नाश होता है। नंदा सप्तमी में गर्म कपड़े, गुड़ लाल चंदन, तांबे के बर्तन का दान करने से बुद्धि और बल में बढ़ोत्तरी होती है।
कब है नंदा सप्तमी
नंदा सप्तमी इस साल 30 नवंबर 2022 को है। हिंदु पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 29 नवंबर 2022 को सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी। अगले दिन 30 नवंबर 2022 को सुबह 08 बजकर 58 मिनट पर सप्तमी तिथि के स्वामी माने गए हैं, इसलिए शुक्लपक्ष की सपतमी पर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने की परंपरा है।
नंदा सप्तमी पर कैसे करें पूजा
नंदा सप्तमी पर प्रात: काल दैनिक क्रिया से निवृत होकर ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में लालफूल, लाल, चंदन . जल, अक्षत डाले और ऊँ घृणि सूर्याय नम:मंत्र का जाप करें और साथ ही सूर्य को अर्घ्य दें।संभव हो तो इस दिन व्रत करें। सूर्य पूजा के बाद भगवान गणेश और मां नंदा का ध्यान करते हुए देवी पार्वती को षोडोपचार से पूजन करें उनसे सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार की खुशहाली की कामना करें।इस दिन जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान दें। व्रत में नमक युक्त भोजन ग्रहण न करें
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