Amritsar liquor tragedy: पंजाब के अमृतसर में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है, जबकि छह अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। यह घटना 12 मई की रात मजीठा क्षेत्र के पांच गांवों—भंगाली कलां, थारीवाल, संघा, मरारी कलां और पातालपुरी—में सामने आई, जहां एक ही स्रोत से खरीदी गई नकली शराब का सेवन पीड़ितों की जान ले गया। पुलिस और प्रशासन ने तत्काल हरकत में आते हुए आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह त्रासदी न केवल सरकार की नाकामी को उजागर करती है बल्कि राज्य में फैलते अवैध शराब माफिया के खतरनाक नेटवर्क की ओर भी इशारा करती है।
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तेज कार्रवाई में मुख्य आपूर्तिकर्ता गिरफ्तार
Amritsar ग्रामीण के एसएसपी मनिंदर सिंह के मुताबिक, 12 मई की रात 9:30 बजे अवैध शराब से मौतों की सूचना मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। चार आरोपियों को हिरासत में लिया गया, जिनमें मुख्य आपूर्तिकर्ता परबजीत सिंह भी शामिल है। आगे की पूछताछ में किंगपिन साहब सिंह की गिरफ्तारी हुई, जो इस जहरीली शराब रैकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। पुलिस अब आपूर्ति श्रृंखला का पूरा नेटवर्क खंगाल रही है ताकि दोषियों को सजा दिलाई जा सके।
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प्रशासन की सक्रियता, गांव-गांव चल रही जांच
Amritsar की डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने बताया कि प्रशासनिक और चिकित्सकीय टीमें लगातार गांवों में घर-घर जाकर लोगों की जांच कर रही हैं। जिन लोगों ने संदिग्ध शराब का सेवन किया है, उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। साहनी ने यह भी कहा कि सरकार ने पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
राजनीतिक घमासान और जनता का गुस्सा
इस घटना ने राज्य में राजनीतिक उबाल ला दिया है। कई नेताओं और आम लोगों ने सोशल मीडिया पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस्तीफे की मांग करते हुए इसे प्रशासनिक विफलता बताया जा रहा है। इस त्रासदी ने 2020 की उस भयावह घटना की याद दिला दी, जब अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर में जहरीली शराब से 100 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
सरकार ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और अवैध शराब कारोबार पर नकेल कसने की बात कही है, लेकिन यह घटना बताती है कि पंजाब को अभी भी ठोस और स्थायी समाधान की जरूरत है।