(मोहसिन खान) नोएडा डेस्क। मोदी कैबिनेट ने एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा तुरूप का इक्का चल दिया कि पिछड़ो और अति पिछड़ों की राजनीति करने वाले दल ना केवल असहज हो गए बल्कि उनको ओबीसी वोट बैंक खिसकने का भी डर सताने लगा है। जाति जनगणना (Caste Census) को लेकर भले ही अभी यूपी में समाजवादी पार्टी और बिहार में आरजेडी की बांछे खिल रही हो लेकिन राजनीतिक पंडित मान रहे है कि समाजवादी पार्टी और आरजेडी को जाति जनगणना ले डूबेगी फिर चाहे अखिलेश यादव ‘पीडीए’ का झंडा उठाकर प्रदेश की सियासत में एक नया नैरेटिव क्यों ना सेट कर रहे हो।
लेकिन मोटे तौर पर मोदी कैबिनेट ने जाति जनगणना कराए जाने का ऐलान करके सबको सकते में डाल दिया। गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर एक लंबे वक्त से विपक्षी दल मांग कर रहे थे लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बीच अचानक जाति जनगणना कराए जाने का फैसला लेकर विपक्ष के मुद्दे को भी लपक लिया।
अब आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते है कि आखिरकार जाति जनगणना (Caste Census) में राजनीतिक फायदे तलाश रही सपा और आरजेडी को कैसे ज़ोर का झटका धीमे से लग सकता है। दरअसल जाति जनगणना कराए जाने के मसले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक बड़ी भूमिका निभाई। क्योंकि संघ का ये मानना है कि जातियां बंटे होने के बावजूद हिन्दु को संगठित किया जा सकता है और ऐसे में जनगणना कराना कोई गलत नहीं है।
यह भी पढ़े: भारत ने रोका चिनाब नदी का पानी, जानें PAK पर हुई वाटर स्ट्राइक तो मौलाना मदानी को क्यों लगी ‘मिर्ची’
लिहाज़ा आरएसएस ने सरकार को सलाह दी है कि जाति जनगणना (Caste Census) को वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीके से डिजाइन किया जाए। ज़रा सोचिए कि अगर जाति जनगणना के बाद ओबीसी का फीसद ज्यादा होता है तो फिर हो सकता है कि मोदी सरकार कुछ नई जातियों को ओबीसी में शामिल कर लें और इसका सीधे तौर पर फायदा बीजेपी उठा ले जाएगी जबकि सपा और कांग्रेस और आरजेडी हाथ मलती रह जाएगी।
दरअसल 1931 में आखिरी बार ब्रिटिश शासनकाल में जाति जनगणना हुई थी और उस हिसाब से ओबीसी की आबादी का प्रतिशत ज्यादा था और हिसाब से ही आरक्षण तय हुआ था। हालाकि वर्तमान समय में सुप्रीम कोर्ट का ये कहना है कि 50 फीसद से उपर नहीं होना चाहिए। अब चूंकि जाति जनगणना होनी है तो उसमें ओबीसी के बढ़ने की संभावना है और जाहिर तौर पर अगर विपक्ष इसका श्रेय लेता है तो फिर बीजेपी के हाथ से मौका चला जाएगा। लेकिन जिस तरह से आरएसएस इसके लिए पूरा खाका तैयार कर रहा है उससे सपा और आरजेडी की मुश्किलें बढ सकती है।