नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर जल स्ट्राइक कर दी है। रविवार को जम्मू के रामबन में बने बागलिहार डैम से चिनाब का पानी रोका गया था। तो वहीं सोमवार को रियासी जिले स्थित चिनाब नदी पर बने सलाल बांध के सभी गेटों को देररात बंद कर दिया गया। इससे नदी में पानी का स्तर काफी गिर गया है। जिस पर अब राजनीतिक दलों की तरफ से प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदानी ने एक बड़ा बयान देकर सनसनी मचा दी है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछकर 26 सैलानियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है। पीएम नरेंद्र मोदी पलटवार को लेकर अपने रणबांकुरों के साथ उतर चुके हैं। मोदी सरकार ने सिंधू संधि समझौते को कैंसिल कर दिया। जिसका असर अब जमीन पर भी दिखने लगा है। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में सलाल बांध है। इसके गेट बंद कर दिए गए। जिससे चिनाब नदी का जलस्तर कम हुआ। रविवार को जम्मू के रामबन में बने बागलिहार डैम से चिनाब का पानी रोका गया था। जिसके चलते पाकिस्तान में जल संकट के हालात बन गए हैं।
अमित मालवीय ने फैसले की प्रशंसा
सरकार के इस कदम की सराहना राजनीतिक दलों के नेताओं की तरफ से की गई है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस कदम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने एक्स पर लिखा कि भारत के हित में कड़े फैसले लेने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए, और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यों से यह दिखाया है। यह मजबूत मोदी सिद्धांत है, जो आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में दृढ़ और अडिग है। पानी और हमारे नागरिकों का खून एक साथ नहीं बह सकता। यह स्पष्ट होना चाहिए।
सीएम धामी ने बताया साहसिक कदम
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 28 अप्रैल को सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक साहसिक कदम बताया था। मुख्यमंत्री धामी ने जोर देकर कहा कि आज का भारत दोस्ती और दुश्मनी दोनों को बनाए रखना जानता है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुत अच्छा निर्णय है। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। आज का भारत दोस्ती और दुश्मनी दोनों को बनाए रखना जानता है। चिनाब का पानी रोके जानें पर सीएम ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है।
अरशद मदानी ने दिया बड़ा बयान
पीएम नरेंद्र मोदी के जल स्ट्राइक की एक तरफ जहां पूरा देश समर्थन कर रहा है तो वहीं पाकिस्तान के समर्थन में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदानी ने एक बड़ा बयान दिया है। मदानी ने कहा, अगर कोई देश पानी रोकता है तो उसे रोकने दो। उन्होंने कहा कि नदियां हजारों सालों से बह रही हैं और सवाल किया कि आपने पानी तो रोक दिया है, लेकिन इन नदियों का पानी कहां लेकर जाएंगे। मुझे लगता है कि नियम प्रेम का होना चाहिए, न कि नफरत का।
सोशल मीडिया पर बवाल मच गया
मौलाना अरशद मदानी ने कहा कि देश में जीवन बिताने वाले एक ’मुस्लिम’ के रूप में, मैं जानता हूं कि यहां जिन चीजों को बढ़ावा दिया जा रहा है, वे देश के लिए सही नहीं हैं। ’अगर कोई पानी रोकता है, तो उसे रोकने दें… ये नदियां हजारों सालों से बह रही हैं, आप उनका पानी कहां ले जाएंगे? यह आसान नहीं है। मौलाना अरशद मदानी के बयान से सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। कई लोगों ने उनका विरोध किया है।
साजिश राशिद ने बयान पर विरोध जताया
अब ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिश राशिद ने उनके बयान पर विरोध जताया है, उन्होंने कहा-अगर पाकिस्तान से इतना प्यार है तो वहीं जाकर क्यों नहीं रहते। कानपुर की सकीना ने कहा कि मदनी जैसे लोग देश के लिए एक कुष्ट रोग की तरह हैं। ऐसे लोगों को भारत से बाहर निकाल देना चाहिए। मदनी के घर का अगर कोई पहलगाम आतंकी हमले में मरा होता तो उन्हें इसका जरूर एहसास होता।
सरकार का यह कदम बहुत अच्छा
कानपुर के निवासी जमाल ने कहा कि हम खुश हैं कि सरकार ने पाकिस्तान को पानी का प्रवाह रोक दिया है। जिस तरह से उन्होंने पहलगाम में हमारे पर्यटकों को मारा, पाकिस्तान को इसका करारा जवाब मिलना चाहिए। सरकार जो भी फैसला लेगी, हम उसके साथ हैं। एक अन्य स्थानीय नागरिक ने कहा कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। सरकार का यह कदम बहुत अच्छा है। हमारी सरकार पाकिस्तान को कई तरह से करारा जवाब दे रही है। हम सब सरकार के साथ हैं।
पाक पर प्रचंड एक्शन
बता दें पहलगाम हमलों के बाद, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई, भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ़ कई कदम उठाए। भारत सरकार ने 15 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया है और पाकिस्तानी उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है। वहीं एक पाकिस्तानी जहाज को भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जबकि कई प्रमुख पाकिस्तानी हस्तियों और राजनेताओं के सोशल मीडिया हैंडल भारत में निलंबित कर दिए गए हैं।
अब जानें क्या है जल सिंधू संधि
सिंधु जल संधि पर 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल की बातचीत के बाद हस्ताक्षर किए गए थे। इस बातचीत में विश्व बैंक ने भी मदद की थी, जो इस संधि का एक हस्ताक्षरकर्ता भी है। पूर्व विश्व बैंक अध्यक्ष यूजीन ब्लैक ने इस वार्ता की शुरुआत की थी। यह संधि दुनिया की सबसे सफल संधियों में से एक मानी जाती है। इसने कई तनावों और संघर्षों का सामना किया है, लेकिन फिर भी यह आधी सदी से अधिक समय से सिंचाई और जलविद्युत विकास के लिए एक ढांचा प्रदान करती रही है।
पाकिस्तान को बाकी 80 फीसदी पानी
इस संधि के अनुसार, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का पानी पाकिस्तान को और पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का पानी भारत को दिया गया है। लेकिन, संधि दोनों देशों को एक-दूसरे की नदियों का कुछ उपयोग करने की अनुमति देती है। संधि भारत को सिंधु नदी प्रणाली के पानी का 20 फीसदी और पाकिस्तान को बाकी 80 फीसदी पानी देती है। भारत सरकार ने सिंधू जल संधि को कैंसिल कर दिया है। अब भारत की नदियों का पानी पाकिस्तान नहीं जाएगा।