Caste Census 2025 : भारत में 2027 की जनगणना का कार्यक्रम निर्धारित कर लिया गया है। केंद्र सरकार ने जो प्रारंभिक योजना तैयार की है, उसके मुताबिक यह व्यापक जनसंख्या गणना प्रक्रिया 1 मार्च 2027 को दोपहर 12 बजे से आरंभ होगी। यह जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी और इस बार इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जो इसे पहले की जनगणनाओं से अलग बनाएंगे।
सबसे खास बात यह है कि इस बार जनगणना के साथ-साथ जाति आधारित गणना (कास्ट सेंसस) कराए जाने की संभावना प्रबल है। यह मुद्दा लंबे समय से देश की राजनीति और समाज में चर्चा का केंद्र रहा है। दशकों बाद केंद्र स्तर पर जातियों की गिनती को लेकर गंभीर मंथन हो रहा है, हालांकि सरकार की ओर से इस पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है।
प्रक्रिया होगी पूरी तरह डिजिटल
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने जनगणना 2027 के लिए एक विस्तृत खाका तैयार किया है। यह पूरी प्रक्रिया अब डिजिटल माध्यम से संपन्न की जाएगी, जिससे डेटा संग्रह और विश्लेषण अधिक पारदर्शी और सटीक होगा। पहले जहां जनगणना प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग 5 वर्ष लगते थे, वहीं इस बार इसे 3 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अंतर्गत परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से संबंधित जानकारी भी एकत्र की जाएगी—जैसे कि आवास की प्रकृति (पक्का या कच्चा घर), सुविधाओं की उपलब्धता आदि।
दो चरणों में जनगणना
केंद्र सरकार की योजना के अनुसार, इस बार जनगणना दो हिस्सों में की जाएगी। पहले चरण में जनसंख्या की सामान्य गणना की जाएगी जिसमें व्यक्ति की आयु, लिंग, शिक्षा स्तर, रोजगार की स्थिति और आवास से जुड़ी जानकारी शामिल होगी। दूसरे चरण में जातिगत आंकड़ों का संग्रह किया जाएगा। अगर यह योजना अमल में आती है, तो यह 1931 के बाद पहली बार होगा जब केंद्र सरकार जातिगत आधार पर विस्तृत जनगणना कराएगी।
यह भी पढ़ें : दिल्ली में गाड़ियों की एंट्री पर सख़्ती, अब सिर्फ ये वाहन ही पाएंगे अंदर …
बर्फबारी वाले क्षेत्रों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में जहां मार्च में पहुँचना कठिन होता है, वहां जनगणना की शुरुआत पहले यानी 1 अक्टूबर 2026 से की जाएगी। यह परंपरा पूर्ववर्ती जनगणनाओं में भी अपनाई गई थी, जिससे मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद डेटा संग्रह समय पर और सटीक तरीके से हो सके।
क्यों अहम है यह जनगणना?
कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना स्थगित कर दी गई थी, जिससे आंकड़ों में एक बड़ी खाई पैदा हो गई थी। अब 2027 की जनगणना न केवल इस अंतर को भरेगी, बल्कि आने वाले वर्षों में नीति निर्माण, संसाधन आवंटन और कल्याणकारी योजनाओं की नींव भी रखेगी। विशेष रूप से जाति आधारित गणना से आरक्षण नीति, सामाजिक न्याय और विकास के कई आयामों पर प्रभाव पड़ सकता है। यह जनगणना तकनीकी दृष्टिकोण से भी खास होगी, क्योंकि इसमें पहली बार बड़े स्तर पर डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।