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कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया को टेप विवाद मामले में,

कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया को टेप विवाद मामले में, सीबीआई से मिली क्लीन चिट

नई दिल्ली। सीबीआई ने कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया को क्लीन चिट दे दी है। सीबीआई ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नीरा राडिया के टेप किए गए लगभग 5800 फोन कॉल्स में उसे किसी अपराध के सबूत नहीं मिले हैं। मामले में शुरू की गई 14 प्राथमिक जांच को बंद कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अगले हफ्ते सुनवाई करने का आदेश दिया।


आपको बतादें कि 2जी घोटाले की जांच के दौरान राडिया टेप चर्चा का विषय बने थे। 12 साल पहले राडिया टेप पर काफी विवाद मचा था। उस समय उद्योगपति रतन टाटा ने खुद से जुड़ी कुछ निजी बातों के भी इन टेप में होने का हवाला देते हुए इन्हें सार्वजनिक करने पर रोक की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। आज लंबे समय बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट किया गया था।

जानिये कौन है नीरा राडिया ?


नीरा मैनन का जन्म 19 नवंबर 1960 को केन्या में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता सुदेश और इकबाल नारायण मेनन पहले केन्या में रहे और फिर उसके बाद परिवार लंदन में शिफ्ट हो गया। लंदन में ही नीरा ने पढ़ाई की और बर्ष 1981 में उन्होंने एक गुजराती बिजनेसमैन जनक राडिया से शादी की. नीरा राडिया के 3 बेटे हैं. साल 1994 में नीरा राडिया भारत आ गईं. नीरा राडिया अंक ज्योतिष में बहुत विश्वास रखती हैं, भारत आने पर उन्होंने अपने नाम Nira से Niira कर लिया। राडिया ने शुरुआत में सहारा एयरलाइंस और बोइंग बनाने वाली अमेरिकी कंपनी के बीच डील में मदद की. इसमें उनकी मदद उनके पिता ने की जो एविएशन इंडस्ट्री में पहले से ही जुड़े हुए थे। जिसके बाद उन्हें सहारा ने एविएशन कंसल्टेंट बना दिया. नीरा का काम सहारा के लिए लाइजनिंग और लॉबिंग करने का था. इसके बाद राडिया एविएशन सेक्टर में ही वो कंपनियों के बीच अपने संपर्कों की मदद से लॉबिस्ट की भूमिका निभाती रहीं वो रतन टाटा से लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज तक के लिए जनसंपर्क और लॉबिंग का काम कर चुकी हैं। भारत आने के कुछ ही सालों में वैष्णवी कम्युनिकेशन नाम की जनसंपर्क कंपनी समेत 4 कंपनियां खड़ी कर दीं. वैष्णवी कम्यूनिकेशन, विटकॉम और न्यूकॉम कंसल्टिंग. नोएसिस स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग लिमिटेड,टाटा, रिलायंस समेत तमाम बड़ी कंपनियों से जुड़ी रहीं थी नीरा राडिया ।

वर्ष 2000 में नीरा राडिया अपनी एक एयरलाइंस शुरू करना चाहती थी परन्तु पूंजी से जुड़ी जरूरतें पूरी ना कर पाने के कारण नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इसकी इजाजत राडिया को नहीं दी। इसी दौरान राडिया के संपर्क सूत्र सिर्फ कंपनियों तक सीमित नहीं रहे, धीरे-धीरे मीडिया से लेकर सरकारी विभागों और यहां तक कि केंद्र सरकार तक उनकी पहुंच हो गई और इसी सांठगांठ के चलते वो पहली बार सुर्खियों में भी आईं। एक अनुमान के मुताबिक इन चारों कंपनियों के पास देश की करीब 150 से 200 कंपनियों के लिए लाइजनिंग का ठेका था, जिससे सालाना 400 से 500 करोड़ की मोटी कमाई होती थी. इन कंपनियों में टाटा समूह की सभी 90 कंपनियां भी शामिल थीं।

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