नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आठ फरवरी को आ गए। 48 सीटें जीतकर 27 साल बाद बीजेपी की दिल्ली में वापसी हुई तो वहीं 22 सीटों पर सिमट कर आम आदमी पार्टी की सत्ता से रवानगी हुई। इनसब के बीच कुछ आंकड़े भी सामने आए हैं। आम आदमी पार्टी सिर्फ 1 लाख 89 हजार वोटों से दिल्ली का चुनाव हारी है। आप को 44 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं। जबकि बीजेपी को 46 फीसदी से अधिक वोट मिले।
1 लाख 89 हजार से दिल्ली का चुनाव हारी APP
दिल्ली विधानसभा चुनाव का संग्राम थम गया। जीत-हार के दावों के बीच दिल्ली की जनता ने 5 फरवरी को 699 उम्मीदवारों की भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया था। आठ फरवरी को नतीजे आ गए और दिल्ली में 48 सीट जीतकर बीजेपी की 27 साल के बाद सत्ता में वापसी हुई। जबकि आम आदमी पार्टी को 22 तो वहीं कांग्रेस को शून्य सीट मिलीं। बीजेपी को भले आम आदमी पार्टी से 26 सीटें ज्यादा मिली हों, लेकिन दोनों पार्टियों के वोटों की संख्या में ज्यादा का फर्क नहीं है। चुनाव आयोग के फाइनल आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में बीजेपी को 43 लाख 23 हजार तो आम आदमी पार्टी को 41 लाख 34 हजार वोट मिले हैं। आम आदमी पार्टी सिर्फ एक लाख 89 हजार से दिल्ली का चुनाव हारी है।
बीजेपी को 43 लाख 23 हजार 121 वोट मिले
चुनाव आयोग के मुताबिक आम आदमी पार्टी को 41 लाख 33 हजार 898 वोट मिले हैं। बीजेपी को 43 लाख 23 हजार 121 वोट मिले। कांग्रेस पार्टी को 6 लाख 100 वोट मिले हैं। जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को 73 हजार और मायावती की पार्टी को 55 हजार वोट मिले हैं। एनडीए के साथ चुनाव लड़ने वाली जेडीयू को 1 लाख तो लोजपा (आर) को 50 हजार वोट मिले हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक अन्य पार्टियों और निर्दलीय को 87 हजार तो नोटा को दिल्ली चुनाव में 53 हजार वोट मिले हैं। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को 49 लाख वोट मिले थे। इस बार आप को 41 लाख वोट मिले हैं। यानी आप के वोटों में 8 लाख की कमी आई है।
इस चुनाव में बीजेपी को 8 लाख वोट बढ़े
भारतीय जनता पार्टी को 2020 के विधानसभा चुनाव में 35 लाख वोट मिले थे। जबकि 2025 के चुनाव में बीजेपी 43 लाख वोट मिले हैं। यानी दिल्ली के इस चुनाव में बीजेपी को 8 लाख वोट बढ़े हैं। जानकार बताते हैं कि बीजेपी ने इस चुनाव में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए जीतोड़ मेहनत की। अरविंद केजरीवाल को उन्हीं के जाल में फंसाया। बीजेपी ने अपने हेडक्वाटर से बैठकर करीब 30 लाख लोगों से सीधे फोन के जरिए बात की। साथ ही आरएसएस की टुकड़ियां गलीयों में चौपाल के जरिए आप की पोल खोली। जानकार बताते हैं कि अगर आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता तो शाएद दिल्ली के नतीजे कुछ और होते। कांग्रेस ने आप के वोटबैंक में जबरदस्त सेंधमारी की है।
नेताओं के जेल जाने को बीजेपी ने तूल दिया
अरविंद केजरीवाल की छवि कट्टर ईमानदार से बेईमान नेता की थी। लेकिन शराब घोटाले में उन्हें जेल जाना पड़ा। भ्रष्टाचार के मामलों में तत्कालीन सीएम केजरीवाल समेत कई बड़े नेताओं के जेल जाने को बीजेपी ने तूल दिया। चुनाव में सरकारी बंगले के रिनोवेशन पर 45 करोड़ खर्च करने, संपत्ति में 40 गुना बढ़ोतरी जैसे आरोपों का असर दिखा। केजरीवाल की आम आदमी वाली सकारात्मक छवि धुल गई। वहीं कांग्रेस से चुनाव पूर्व गठबंधन न करने से केजरीवाल की नई दिल्ली, सिसोदिया की जंगपुरा समेत 13 सीटों पर आप हारी। हार के अंतर से ज्यादा वोट कांग्रेस उम्मीदवारों को मिले।
घोषणा कर 67 फीसदी आबादी को साधा
बीजेपी ने केजरीवाल के मुकाबले प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा। इस दांव की काट केजरीवाल नहीं ढूंढ़ पाए और जाटों के प्रभाव वाली सभी दस सीटें बीजेपी जीत गई। केजरीवाल बीजेपी के कोर वोट बैंक मध्य वर्ग में सेंध नहीं लगा पाए। इसके उलट बीजेपी ने बजट में 12 लाख की आय कर से मुक्त करने की घोषणा कर 67 फीसदी आबादी को साधा। आप नौकरीपेशा वर्ग को अपने साथ जोड़ने में नाकाम रही। दूसरी ओर, आठवां वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर बीजेपी इस वर्ग की नाराजगी दूर करने में कामयाब रही।
मोदी की गारंटी का दांव भारी पड़ा
पूर्वांचली वोटर को साधने में नाकाम रहने की कीमत भी आप ने चुकाई। पूर्वांचली बहुल 27 सीटों पर बीजेपी ने बिहार, यूपी व दिल्ली के सौ से अधिक नेताओं को प्रचार में झोंक कर बढ़त ली। सत्तारूढ़ आप पहले से जारी मुफ्त बिजली-पानी व महिलाओं की मुफ्त बस यात्रा के अलावा कोई नई योजना नहीं लाई, जबकि उसकी इन योजनाओं पर मोदी की गारंटी का दांव भारी पड़ा। यमुना में जहर मिलाने का आरोप बुरा दांव साबित हुआ। हरियाणा के सीएम ने अपने यहां यमुना जल पीकर केजरीवाल को भी ऐसा ही करने की चुनौती दे उनके आरोपों की हवा निकाल दी।