Waqf Act 2025 : सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को नए वक्फ कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं और अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने नए कानून के खिलाफ विस्तार से दलीलें रखीं।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान खजुराहो के एक मंदिर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मंदिर एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के संरक्षण में होने के बावजूद लोग वहां पूजा कर सकते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या एएसआई द्वारा संरक्षित घोषित किए जाने से पूजा के अधिकार का हनन होता है? इस पर सिब्बल ने कहा कि नया कानून वक्फ को शून्य घोषित कर देता है, जिससे आस्था का अधिकार प्रभावित होता है।
सरकार और याचिकाकर्ताओं के बीच बहस
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि अदालत को सिर्फ तीन मुद्दों पर सुनवाई करनी चाहिए – वक्फ बोर्ड की नियुक्ति, वक्फ बाय यूजर, और जिलाधीश की भूमिका। उन्होंने कहा कि इन्हीं तीन बिंदुओं पर सरकार ने अंडरटेकिंग दी थी। लेकिन कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई और कहा कि याचिकाकर्ता सभी मुद्दों पर दलील देंगे।
कपिल सिब्बल ने क्या कहा ?
सिब्बल ने कहा कि नया वक्फ कानून धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सीमित करता है। उन्होंने तर्क दिया कि एक बार संपत्ति वक्फ हो गई, तो वह हमेशा के लिए वक्फ रहती है। लेकिन नया कानून कहता है कि जब तक कलेक्टर की रिपोर्ट नहीं आती, तब तक संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी। उन्होंने इसे अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन बताया।
विवाद की स्थिति में वक्फ समाप्त
सिब्बल ने कहा कि कानून के मुताबिक अगर किसी संपत्ति को एएसआई संरक्षित घोषित कर दिया जाए या उस पर कोई विवाद हो, तो वह वक्फ नहीं मानी जाएगी। इस तरह संपत्ति को वक्फ सूची से बाहर करना आसान हो जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कलेक्टर सरकार का कर्मचारी होता है और जांच में निष्पक्षता की संभावना नहीं होती। सुनवाई के दौरान मस्जिद और दरगाह में चढ़ावे को लेकर भी चर्चा हुई। सिब्बल ने कहा कि मस्जिदों में मंदिरों की तरह चढ़ावा नहीं होता और वे केवल चैरिटी के जरिए चलती हैं। इस पर सीजेआई ने कहा कि मंदिरों और दरगाहों में भी दान आता है। सिब्बल ने स्पष्ट किया कि वे मस्जिदों की बात कर रहे हैं, दरगाहों की नहीं।
यह भी पढ़ें : Abhishek Sharma और Digvesh Rathi में हुई भयंकर लड़ाई…
सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि जैसे ही किसी धार्मिक संपत्ति को एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है, वह वक्फ की सूची से बाहर हो जाती है। उन्होंने संभल की जामा मस्जिद का उदाहरण दिया और कहा कि यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। सिब्बल ने कहा कि नए कानून में कलेक्टर को वक्फ की जांच करने, विवाद तय करने और संपत्ति के पंजीकरण पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह व्यवस्था पूरी तरह असंवैधानिक है और इससे मुसलमानों के अधिकारों का हनन होता है।
पंजीकरण न होने पर नहीं दर्ज होगी वक्फ संपत्ति
सिब्बल ने चिंता जताई कि अगर किसी वक्फ का पंजीकरण नहीं है और संपत्ति को लेकर कोई विवाद उठता है, तो वह संपत्ति वक्फ के तौर पर मान्य नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पुराने वक्फ, जिनकी जानकारी अब नहीं है, उनके लिए ये नियम कठोर हैं। सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पहले वक्फ बोर्ड और काउंसिल में केवल मुस्लिम सदस्य होते थे, लेकिन अब नए कानून में 11 सदस्यों में से 7 गैर-मुस्लिम हो सकते हैं। उन्होंने इसे धार्मिक समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया आश्वासन
कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी और सुनवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। इस अहम मामले में अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाएगी।