Holi 2025 : हिंदू धर्म में होली का विशेष महत्व है और इसे भारत के सबसे बड़े त्योहारों में गिना जाता है। रंगों का यह उत्सव हर साल धूमधाम से मनाया जाता है, क्योंकि इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में होलिका दहन किया जाता है, और अगले दिन पूरे देश में रंगों से भरी होली खेली जाती है।
Holi की तिथि को लेकर भ्रम
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की रात को होलिका दहन किया जाता है, जबकि अगले दिन धुलंडी के रूप में रंगों का पर्व मनाया जाता है। पिछली बार यानी 2024 में होली की तिथि को लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन है, और इस साल भी कुछ लोग इसे लेकर कंफ्यूज हैं। कुछ जगहों पर 13 मार्च 2025 को होलिका दहन बताया जा रहा है, जबकि अन्य स्थानों पर 14 मार्च 2025 की तिथि दी जा रही है। ऐसे में सही जानकारी के लिए यहां होली और होलिका दहन की सटीक तिथि दी जा रही है।
होली कब है? (Holi 2025 Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च 2025 की सुबह 10:25 बजे शुरू होगी और 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर, इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 की रात को किया जाएगा, जबकि रंगों की होली 14 मार्च 2025 को खेली जाएगी।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च 2025 की रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान होलिका दहन किया जाएगा।
होलिका दहन क्यों किया जाता है?
फाल्गुन पूर्णिमा की रात लकड़ी और गोबर के उपलों से होलिका दहन किया जाता है, जो धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है। इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, जिसे उसका पिता स्वीकार नहीं कर पाया। उसने अपने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन होलिका का सहारा लिया।
अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक
होलिका को ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। इस वरदान का प्रयोग कर उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती चिता पर बैठने की योजना बनाई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। तभी से अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक के रूप में हर साल होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।