Prachand helicopter deal India भारत अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। सरकार ने 2025-26 तक 156 स्वदेशी ‘प्रचंड’ लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH) खरीदने का फैसला किया है।यह सौदा भारतीय वायुसेना और सेना की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी मजबूती देगा। यह न सिर्फ भारत की सुरक्षा को और पुख्ता करेगा, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा देगा।
कैबिनेट से जल्द मिलेगी मंजूरी
सरकार इस सौदे को जल्द ही केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी के लिए पेश करेगी। यह डील करीब ₹45,000 करोड़ की होगी, जिसके तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीदे जाएंगे।यह सौदा पूरी तरह से स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने और भारतीय सेना को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
किन बलों को मिलेंगे LCH
भारतीय सेना: 90 हेलीकॉप्टर
भारतीय वायुसेना: 66 हेलीकॉप्टर
मुख्य एजेंसी: भारतीय वायुसेना
‘प्रचंड’ दुश्मनों के लिए काल
‘प्रचंड’ दुनिया का इकलौता ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर है, जो 16,400 फीट (लगभग 5,000 मीटर) की ऊंचाई पर भी आसानी से उड़ सकता है। यह सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख जैसे दुर्गम इलाकों में तैनात करने के लिए आदर्श है।
इसकी खासियतें
हवा से जमीन और हवा से हवा में हमला करने में सक्षम
आधुनिक मिसाइलों और हथियारों से लैस
दुश्मन की हवाई सुरक्षा को नेस्तनाबूद करने की ताकत
कठिन इलाकों में भी आसानी से ऑपरेशन कर सकता है
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी मजबूती
सरकार ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए यह सौदा कर रही है। इससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को नई रफ्तार मिलेगी और भारतीय सेना को अत्याधुनिक उपकरण मिलेंगे। इसके अलावा, भारत ने पहले ही 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस का ऑर्डर दिया है। अब 97 और LCA ऑर्डर करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। हाल ही में 307 ATAGS हॉवित्जर तोपों की खरीद को भी मंजूरी मिल चुकी है।
कब होगा सौदे पर अंतिम फैसला
जैसे ही कैबिनेट से मंजूरी मिलेगी, इस सौदे पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे। सरकार ने ₹7,000 करोड़ के ATAGS हॉवित्जर सौदे पर भी जल्द हस्ताक्षर करने की योजना बनाई है।
यह डील भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी और देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी।
इससे भारतीय रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती मिलेगी और दुश्मनों पर भारतीय सेना की पकड़ और मजबूत होगी।