नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधू जल संधि को सस्पेंड कर दिया था, जिसके कारण पाकिस्तान में अभी से पानी की भीषण किल्लत शुरू हो गई है। पाकिस्तानी मौलाना रहिमन को याद कर रहे हैं तो आतंकी फौज भारत को गीदड़भभकी दे रही हे। पड़ोसी मुल्क की संसद में पानी को लेकर हाय-तौबा मची हुई है। बाजारों में नीले ड्रमों की बिक्री में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। हालात ऐसे हो गए है कि गोदामों में रखे ड्रम को लुटरे लूटकर भाग रहे हैं। जबकि किसानों अभी से त्राहिमाम-त्राहिमाम करने लगे हैं। उनका कहना हैं कि अगर पानी समय से नहीं मिला तो चावल की फसल इसबार वह नहीं उगा सकेंगे।
सिंधु जल समझौता रद्द होने के बाद अब इसका असर पाकिस्तान पर दिखने लगा है। इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी ने चिनाब नदी में जल प्रवाह में भारी उतार-चढ़ाव को गंभीर चिंता का विषय बताया है। अथॉरिटी का कहना है कि इसका असर पंजाब में दिखने लगा है। चावल वाले इस क्षेत्र के किसान परेशान हैं। पानी रोके जानें से मंगला डैम के जल भंडारण पर भी पड़ रहा है। IRSA के प्रवक्ता खालिद इदरीस राणा ने कहा, जिस तरह से भारत ने चिनाब के जल प्रभाव को कम किया है, इससे खरीफ की फसलों के साथ ही चावल पर खतरा मंडरा रहा है। प्रवक्ता ने दावा किया कि मंगला डैम के जल भंडारण पर भी असर पड़ सकता है।
IRSA के प्रवक्त राणा ने बताया कि पाकिस्तान कमीशनर फॉर इंडस वाटर्स को हर घंटे जल प्रवाह का डेटा मिलता है, जबकि आईआरएस को औसत (मीन) डेटा मिलता है। उनके अनुसार, चिनाब नदी में 29 मई को औसत जल प्रवाह 69,100 क्यूसेक और 30 मई को 78,000 क्यूसेक था जो 31 मई को अचानक गिरकर 22,700 क्यूसेक रह गया। उन्होंने कहा, चिनाब में जल प्रवाह का ये उतार-चढ़ाव बहुत गंभीर है। सेंट्रल पंजाब के चावल क्षेत्र की सिंचाई जरूरतों को पूरा करने के लिए IRSA ने मंगला जलाशय से जल प्रवाह को 10,000 क्यूसेक से बढ़ाकर 25,000 क्यूसेक कर दिया है। हालांकि, अगर यही स्थिति बनी रही तो मंगला डैम का जल भंडारण गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
राणा ने बताया कि IRSA झेलम नदी की जल विज्ञान स्थिति के अनुसार मंगला डैम में पानी का भंडारण कर रहा है और 30 जून तक बांध को 80 प्रतिशत तक भरना अनिवार्य है। राणा ने कहा कि भारत द्वारा चिनाब के जल प्रवाह को कम-ज्यादा करने से सेंट्रल पंजाब के चावल क्षेत्र को खतरे में डाल दिया है और ये मंगला बांध के भराव को भी प्रभावित करेगा। यह स्थिति पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकती है, क्योंकि चिनाब नदी पंजाब के विशाल कृषि क्षेत्रों की सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है। आईआरएसए ने भारत से सिंधु जल संधि के तहत जल साझा करने की प्रतिबद्धताओं का पालन करने की अपील की है।
पाकिस्तान के अर्थशास्त्र के जानकारों का कहना है कि यदि जल प्रवाह में कमी जारी रही तो चावल के साथ-साथ कपास, मक्का और गन्ने जैसी अन्य खरीफ फसलों पर भी असर पड़ सकता है। जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। सिंधू जल संधि के सस्पेंशन का असर पाकिस्तान की जीडीपी पर भी पड़ेगा। फसलों के अलावा घरों पर भी पानी का संकट मंडराएगा। पाक के जानकारों का दावा है कि भारत की नदियों से आने वाला पानी ही पंजाब और सिंध के घरों में पहुंचाया जाता है। पानी कम हुआ तो इससे पेयजल संकट पैदा हो जाएगा। पानी के संकट की अटकलों के बीच पाकिस्तान में लोग नीले ड्रमों की खरीदारी कर रहे हैं। बाजारों में नीले ड्रम की रेट अचानक बढ़ गए हैं।
भारत की वाटर से स्ट्राइक से पाकिस्तान के मौलाना भी परेशान हैं। मौलानाओं का कहना है कि भारत को तत्काल सिंधू समझौता बहाल करना चाहिए। लाहौर के एक मौलाना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल मीडिया में मौलाना कहता सुनाई पड़ रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी पाक की आवाम पर रहम करें। लोग तो दुश्मनों को भी पानी पिलाते हैं। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी वाटर स्ट्राइक को तत्काल रोकें। नहीं तो पूरे पाकिस्तान में प्रलय आ जाएगा। फसलें बर्बाद हो जाएंगी। रोटी के लाले पड़ जाएंगे। मौलाना ने पाक सरकार और पाक आर्मी से भी कहा है कि दोनों मिलकर भारत सरकार से बात करें और जनता को इस समस्या से निजाद दिलवाएं। पाक की महिलाओं के वीडियो भी वायरल हो रहे हैं, जिसमें वह पानी की समस्या के बारे में बता रही हैं।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन को 13 मई को एक रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें बताया गया था कि पहलगाम में नागरिकों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमले के बाद संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। मुखर्जी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और स्थायी रूप से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन करना नहीं छोड़ देता, तब तक प्रमुख जल-बंटवारा संधि निलंबित रहेगी। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने नई दिल्ली की ओर से उठाई गई विशिष्ट आपत्तियों पर चर्चा करने के लिए अपनी सरकार की तत्परता व्यक्त की थी। हालांकि, भारत सरकार संधि को स्थगित रखने के अपने फैसले पर दृढ़ है।