Indian Nurse Facing Death Sentence in Yemen: केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन की एक अदालत ने हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई है। इस सजा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिस पर सोमवार (14 जुलाई, 2025) को सुनवाई हुई।
भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि विदेश मंत्रालय ने यमन सरकार से इस मामले में कई बार संपर्क किया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस भरोसा नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ एक तय सीमा तक ही हस्तक्षेप कर सकती है।
सिर्फ 5 मिनट पहले भी की गई कोशिश
AG वेंकटरमणी ने बताया कि सोमवार सुबह 10:30 बजे भी यमन सरकार से संपर्क करने की कोशिश की गई, ताकि फांसी को कुछ समय के लिए टाला जा सके। लेकिन फिलहाल इसका कोई परिणाम नहीं निकला। उन्होंने कहा कि कुछ सूत्रों से ये जानकारी मिली है कि शायद फांसी को रोका जाएगा, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
ब्लड मनी का विकल्प भी नहीं कारगर
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या ब्लड मनी (मुआवजा) का इंतज़ाम किया गया है? इस पर अटॉर्नी जनरल ने बताया कि पीड़ित के परिवार से बातचीत हुई थी, लेकिन उन्होंने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि यह उनके सम्मान का सवाल है, इसलिए वो ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेंगे।
हालांकि याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वे ज्यादा रकम देने के लिए तैयार हैं, लेकिन फिर भी परिवार को मनाना बहुत मुश्किल है। AG ने भी माना कि यमन जैसे देश में चीजें सीधी नहीं होतीं और वहां की सरकार पर सीधा असर डालना कठिन है।
भारत सरकार की सीमित भूमिका
अटॉर्नी जनरल ने यह साफ किया कि भारत सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है, लेकिन यमन के कानूनी और प्रशासनिक ढांचे में सीधे दखल देने की सीमा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यमन के प्रभावशाली लोगों और शेखों से भी संपर्क किया है, मगर इसका कोई लाभ नहीं हुआ।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी भी कोर्ट में मौजूद थे और उन्होंने स्थिति की पूरी जानकारी दी।
अगली सुनवाई 18 जुलाई को
कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 18 जुलाई 2025 की तारीख तय की है। कोर्ट ने सरकार और याचिकाकर्ता दोनों से कहा है कि अगली बार उन्हें अब तक हुई प्रगति की पूरी जानकारी दी जाए। फिलहाल, निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। ऐसे में उसके जीवन को बचाने के लिए कानूनी और कूटनीतिक कोशिशें तेज़ हो गई हैं।