नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। जम्मू और कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में मंगलवार को बड़ा आतंकी हमला हुआ। यहां की एक पहाड़ी पर हथियारों से लैस सात से आठ आतंकवादियों ने पर्यटकों का धर्म-नाम पूछकर गोलियों से भून कर मौत के घाट उतार दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान लगी तो वहीं 10 से 15 पर्यटक घायल बताए जा रहे हैं, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। इस नरंसहार की जम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे टीआरएफ यानी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंटश्’ ने ली है। सूत्रों की मानें तो इस अटैक में टीआरएफ के तीन कमांडर शामिल हैं और आतंकियों के आकाओं ने पीआके के राजकोट से पैठकर वारदात को अंजाम दिलवाया है। आतंकी हमले का मास्टरमाइंड आतंकवादी सैफुल्लाह खालिद को बताया जा रहा है।
आतंकियों ने 26 लोगों की हत्या
दअअसल, जम्मू और कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में देश और विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचे थे। सभी लोग भारत के स्वीजरलैंड में खूबसूरती को निहार रहे थे। तभी पहाड़ पर 7 से 8 आतंकवादियों ो हथियारों से लैस होकर धावा बोल देते हैं। आतंकवादी नाम और धर्म पूछकर लोगों की हत्या करना शुरू कर देते हैं। करीब 10 से 15 मिनट तक आतंकी आतंकी हमले को अंजाम देते हैं। हमले में 26 लोगों की मौत हो जाती है और 10 से 15 पर्यटक घायल हो जाते हैं। सूचना पर पुलिस और सेना के जवानों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर सर्च ऑपरेशन लांच कर देते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री देरशाम ही कश्मीर के लिए रवाना हो जाते हैं। बताया जा रहा है कि इस हमले को टीआरएफ के आतंकियों ने अंजाम दिया है। सूत्रों की मानें तो हमले में शामिल पांच आतंकवादी पाकिस्तान के बताए जा रहे हैं, जबकि तीन स्थानीय।
पीओके में रची गई आतंकी हमले की साजिश
सूत्र बताते हैं कि पहलगाम के बैसारन घाटी में आतंकी हमले की साजिश पीओके के राजकोट में रची गई। इस हमले में लश्कर के तीन कमांडर शामिल बताए जा रहे हैं। मास्टरमाइंड के तौर पर लश्कर-ए-तैयबा डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद का नाम सामने आया है। इसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। ये हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मन हाफीज सईद का बहुत करीबी है। भारत में कई बड़े आतंकी हमलों में इसका नाम आता रहा है। ये हमेशा लग्जरी कारों से चलता है। इसकी सुरक्षा में हमेशा लश्कर के आतंकी अत्याधुनिक हथियारों से लैश रहते हैं। पाकिस्तान नें इसका रसूख इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां कि सेना के अफसर भी इसके उपर फूलों की बारिश करते हैं। ये पाकिस्तानी सेना के जवानों को भड़काने का काम करता है।
पाक आर्मी, आईएसआई और हमास
सूत्र बताते हैं कि इस हमले के पीछे आम आर्मी और आईएसआई का अहम रोल है। पाक आर्मी के बड़े अफसरों ने राजकोट में सफुल्लाह के साथ एक बड़ी बैठक की थी। इसी बैठक में पहलगाम हमले का प्लान बनाया गया था। पाक आर्मी ने आतंकियों को हथियार मुहैया कराए। आईएसआई ने कश्मीर में बैठे अपने स्लीपर सेल को एक्टिव किया। सूत्र बताते हैं कि पाक आर्मी और आईएसआई अब हाफिज सईद को अंदरग्राउंड कर उसके करीबियों के साथ नयागठजोड़ तैयार किया है। लश्कर-ए-तोयबा के अलावा जैश भी इस गठजोड़ में शामिल है। सूत्र बताते हैं कि आतंकी हमले की प्लालिंग दो माह पहले बनाई गई थी। सूत्र बताते हैं कि गाजा से एक हमास का कमांडर भी मौजूद था। बैठक में तय किया गया था कि आतंकी हमले को हमास की तरह कराया जाएगा। आतंकियों को हथियारों के साथ-साथ कैमरे भी दिए गए। पूरे हत्याकांड को आतंकियों ने कैमरे के जरिए शूट किया।
कर्नल ने उसके उपर फूल बरसाए
ताजा आतंकी हमले से दो महीने पहले ही सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था, जहां पाकिस्तान सेना की एक बड़ी बटालियन रहती है। वहां पाक सेना के एक कर्नल जाहिद जरीन खटक ने उसे जेहादी भाषण देने के लिए बुलाया था। उसके वहां पहुंचने के बाद खुद कर्नल ने उसके उपर फूल बरसाए। इसके बाद इसने पाक सेना को भारत के खिलाफ जमकर भड़काया। उसने यहां तक कहा कि वे लोग भारतीय सैनिकों का जितना कत्ल करेंगे, अल्लाह उन्हें उतना उतना ही शवाब देगा। इसे चाहे जैसे अंजाम दिया जाए। इसी तरह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आयोजित एक सभा में भी इसने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगाला था।
टारगेट किलिंग के लिए ट्रेनिंग दी गई
सैफुल्लाह खालिद ले कहा था, ‘मैं वादा करता हूं कि आज 2 फरवरी 2025 है। 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर पर हम कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे। आने वाले दिनों में हमारे मुजाहिदीन हमले तेज कर देंगे। हमें उम्मीद है कि 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर आजाद हो जाएगा। इस सभा का आयोजन आईएसआई और पाक सेना ने मिलकर किया था। उसे सुनने के लिए बड़ी संख्या में हथियारबंद आतंकी शामिल हुए थे। एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल सैकड़ों पाकिस्तानी लड़कों ने एबटाबाद के जंगलों में आयोजित एक आतंकी कैंप में हिस्सा लिया था। इसे लश्कर-ए-तैयबा के पॉलिटिकल विंग पीएमएमएल और एसएमएल ने आयोजित किया था। इसमें सैफुल्लाह कसूरी भी मौजूद था। उसने इस कैंप से आतंकी हमलों के लिए लड़कों का चयन किया था, जिन्हें बाद में टारगेट किलिंग के लिए ट्रेनिंग दी गई थी। यहां भी सैफुल्लाह ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर वहां मौजूद लड़कों को उकसाया था।
लश्कर के फंडिंग चौनलों का इस्तेमाल
5 अगस्त 2019 को संविधान में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाया गया था। इसके बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को कवर करने के लिए आईएसआई ने टीआरएफ यानी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ का गठन किया था। पाकिस्तानी सेना इस आतंकी संगठन की मदद करती है। लश्कर के फंडिंग चौनलों का इस्तेमाल होता है। गृह मंत्रालय ने भी राज्यसभा में बताया था, ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है। साल 2019 में टीआरएफ अस्तित्व में आया था. उसके बाद से वो जम्मू और कश्मीर में लगातार आतंकी हमले कर रहा है। टीआरएफ का ‘हिट स्क्वॉड’ और ‘फाल्कन स्क्वॉड’ आने वाले दिनों में कश्मीर में बड़ी चुनौती पेश कर सकता है। इस आतंकी मॉड्यूल को टारगेट किलिंग को अंजाम देने, जंगली और ऊंचे इलाकों में छिपने के लिए ट्रेंड किया गया है. ।