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Modi Pajeshkian talks से उठा कूटनीति का सूरज: ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद भारत ने निभाई शांति की मध्यस्थ भूमिका

22 जून को अमेरिका द्वारा ईरान पर हमलों के बाद प्रधानमंत्री मोदी और ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियन के बीच हुई बातचीत ने पश्चिम एशिया में शांति और कूटनीति की नई दिशा तय की, जहां भारत ने संतुलनकारी भूमिका निभाई।

by Mayank Yadav
June 22, 2025
in Breaking, Latest News, राष्ट्रीय
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Modi Pajeshkian
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Modi Pajeshkian talks: 22 जून 2025 को अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बाद पूरी दुनिया की नजरें पश्चिम एशिया की ओर टिक गईं। इस उथल-पुथल के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के बीच हुई टेलीफोन वार्ता ने वैश्विक कूटनीति में नई हलचल पैदा कर दी। बातचीत का केंद्र रहा – तनाव घटाना, शांति को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देना। भारत ने एक बार फिर मध्यस्थ की भूमिका में दुनिया को दिखा दिया कि शांति की राह सिर्फ बमों से नहीं, संवाद से बनती है। मोदी का संतुलित रुख और ईरान से ऐतिहासिक संबंधों की पुनः पुष्टि ने भारत को इस संकट में एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में स्थापित किया।

क्षेत्रीय संकट पर भारत की सधी हुई प्रतिक्रिया

अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज और इस्फहान – पर हमले के बाद जब पूरा क्षेत्र युद्ध की आशंका से कांप रहा था, भारत ने संयम और संवाद का मार्ग चुना। प्रधानमंत्री मोदी ने मसूद पेजेशकियन से बात करते हुए चिंता जताई कि इस संघर्ष में मानवीय क्षति बढ़ रही है। हमलों में 78 ईरानियों की मौत और उसके जवाब में इजरायल पर ईरानी ड्रोन हमले क्षेत्र को तबाही की ओर धकेल सकते हैं। मोदी ने साफ किया कि कूटनीति ही वह राह है, जो इस संकट को हल कर सकती है।

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बातचीत से निकली कूटनीति की नई लकीर

Modi Pajeshkianदोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि क्षेत्रीय शांति के लिए आपसी संवाद और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयासों को बढ़ावा देना जरूरी है। मोदी ने भारत की नीति दोहराई — न हिंसा, न पक्षपात — बल्कि संवाद, सहयोग और मानवीय मूल्यों की रक्षा। भारत ने पहले भी अफगानिस्तान, यमन और खाड़ी संकट जैसे मुद्दों में सकारात्मक भूमिका निभाई है, और अब ईरान-इजरायल-अमेरिका संकट में भी वही संतुलन कायम रखने की कोशिश की जा रही है।

भारत-ईरान संबंध: ऐतिहासिक मित्रता का मजबूत आधार

चाबहार बंदरगाह परियोजना से लेकर OIC जैसे मंचों पर आपसी समर्थन तक, भारत और ईरान के संबंध सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भी हैं। मोदी और पेजेशकियन ने इस बातचीत में द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। खास बात यह रही कि ईरान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता जताई। इससे दोनों देशों के बीच भरोसे का नया अध्याय जुड़ता दिखा।

वैश्विक बातचीत में भारत का उभरता नेतृत्व

इस संकट में मोदी ने इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से भी बातचीत कर यह स्पष्ट कर दिया कि भारत सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय शांति-निर्माता की भूमिका निभा रहा है। भारत ने इजरायल के साथ अपने रणनीतिक और रक्षा संबंधों को कायम रखते हुए भी ईरान के साथ संवाद में कोई कटौती नहीं की — यह दिखाता है कि भारत अब मध्य पूर्व में संतुलनकारी शक्ति के रूप में उभर चुका है।

भारत की भूमिका अब ‘संवाद से समाधान’ की दिशा में

Modi Pajeshkian के बीच हुई बातचीत न सिर्फ दो देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करती है, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश देती है कि भारत अब वैश्विक मंच पर सिर्फ दर्शक नहीं, निर्णायक कूटनीतिक शक्ति बन चुका है। युद्ध की आशंका से घिरे पश्चिम एशिया में भारत की “शांति प्राथमिकता” नीति ने एक बार फिर साबित कर दिया कि 21वीं सदी में संवाद ही असली हथियार है।

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Tags: Modi Pajeshkian
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