Tahawwur Rana :मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को आज विशेष विमान से भारत लाया गया है। अमेरिका की अदालत द्वारा उसकी प्रत्यर्पण याचिका खारिज किए जाने के बाद भारत को यह बड़ी सफलता मिली। 64 वर्षीय राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जिस पर 2008 के भयावह मुंबई हमलों की साजिश रचने का गंभीर आरोप है।
ऐसी थी राणा की शुरुआती ज़िंदगी
तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान के प्रतिष्ठित कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल में पढ़ाई की, जहां उसकी गहरी दोस्ती डेविड कोलमैन हेडली से हुई। यही दोस्ती बाद में आतंक के रास्ते पर दोनों को एक साथ ले गई। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, राणा पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में शामिल हुआ और कैप्टन के तौर पर कार्य किया।
कनाडा में बनाई नई पहचान
सेना से सेवा मुक्त होने के बाद, राणा अपनी पत्नी के साथ कनाडा चला गया और 2001 में कनाडाई नागरिकता हासिल की। कनाडा की नागरिकता ने उसे अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में सुविधा दी। बाद में वह अमेरिका के शिकागो में बस गया और ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम से इमीग्रेशन और ट्रैवल बिजनेस शुरू किया। इसी बिजनेस को वह अपने आतंकवादी नेटवर्क का आधार बनाता चला गया।
मुंबई में बना साजिश का केंद्र
2006 में राणा ने डेविड हेडली को मुंबई में अपनी इमीग्रेशन कंपनी की ब्रांच खोलने में मदद की। यह ऑफिस असल में एक मुखौटा था, जहां से भारत में आतंकी गतिविधियों की प्लानिंग होती थी। हेडली ने इसी ऑफिस की आड़ में मुंबई के संभावित टारगेट्स की रेकी की और वीडियो बनाकर पाकिस्तान भेजे।
लश्कर-ए-तैयबा और ISI से राणा के संबंध
2005 के बाद से राणा लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी जैसे आतंकी संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ गया। डेविड हेडली की गवाही और सबूतों के अनुसार, राणा ने उसे भारत के लिए वीज़ा दिलाने और ऑफिस स्थापित करने में मदद की ताकि मुंबई हमलों के टारगेट तय किए जा सकें।
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26 नवंबर 2008 को, पाकिस्तान से आए दस आतंकियों ने मुंबई में समन्वित हमले किए, जिनमें 166 लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। ताज होटल, CST स्टेशन, लियोपोल्ड कैफे, और नरीमन हाउस जैसे स्थान मुख्य निशाने पर थे। राणा और हेडली ने इन स्थानों की रेकी कर लश्कर को रिपोर्ट भेजी थी। राणा की इमीग्रेशन कंपनी ने पूरे ऑपरेशन को ढकने का काम किया।
ISI से जुड़ा “मेजर इकबाल”, राणा का मुख्य संपर्क
जांच में खुलासा हुआ कि राणा और हेडली ने पाकिस्तान के खुफिया अधिकारी मेजर इकबाल से लगातार संपर्क बनाए रखा। इकबाल ने हेडली को लगभग 1500 डॉलर दिए थे मुंबई ऑफिस खोलने और हमलों की योजना को आगे बढ़ाने के लिए। रिकॉर्ड से पता चला कि उस ऑफिस से कोई कानूनी इमीग्रेशन केस फाइल नहीं किया गया – यह एक महज़ दिखावा था।
डेनमार्क में भी हमले की योजना
2009 में डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश में अमेरिका ने राणा और हेडली को गिरफ्तार किया। जांच में मुंबई हमलों से भी राणा की भूमिका जुड़ी, लेकिन कोर्ट ने उसे प्रत्यक्ष दोष से मुक्त किया—फिर भी 14 साल की सजा सुनाई गई।
कनाडाई नागरिकता ने उसे कारोबारी की विश्वसनीयता दी, जिसका उसने आतंक फैलाने में फायदा उठाया। 2019 में भारत ने प्रत्यर्पण मांगा, लेकिन राणा ने धर्म, स्वास्थ्य और मानवाधिकार के नाम पर बचने की कोशिश की। कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दीं और फरवरी 2025 में अमेरिका ने भारत को प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी।