One State – One RRB Policy अगर आप ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सेवाएं लेते हैं तो ये खबर आपके लिए अहम है। अगले महीने यानी 1 मई से पूरे देश में ग्रामीण बैंकों को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब हर राज्य में सिर्फ एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) होगा। सरकार ने ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ पॉलिसी लागू करने का फैसला लिया है, जिसके चलते 11 राज्यों के 15 बैंकों का आपस में विलय कर दिया जाएगा।
क्या है ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ पॉलिसी?
इस नई नीति का मतलब है कि हर राज्य में अब सिर्फ एक ही ग्रामीण बैंक होगा, जो पूरे राज्य के लिए सेवाएं देगा। इससे बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता, संचालन में आसानी और ग्राहकों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
इस पॉलिसी के तहत जिन 11 राज्यों में यह बदलाव होगा, वे हैं।
आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान।
सरकार की योजना है कि देशभर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या घटाकर 28 कर दी जाए, जो अभी 43 हैं।
किन बैंकों का होगा आपस में विलय?
आंध्र प्रदेश
यहां चार बैंकों – चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरी ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को मिलाकर एक नया ‘आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक’ बनाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश
बड़ौदा यू.पी. बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यू.पी. ग्रामीण बैंक को मिलाकर ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक’ नाम की इकाई बनेगी। इसका मुख्यालय लखनऊ में होगा और इसे बैंक ऑफ बड़ौदा प्रायोजित करेगा।
पश्चिम बंगाल
बंगीय ग्रामीण विकास बैंक, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तरबंग आरआरबी को मिलाकर ‘पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक’ बनाया जाएगा।
बिहार
दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के विलय से ‘बिहार ग्रामीण बैंक’ बनेगा, जिसका मुख्यालय पटना में रहेगा।
गुजरात
बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक को मिलाकर ‘गुजरात ग्रामीण बैंक’ बनाया जाएगा।
क्या होगा असर
विलय के बाद सभी नए ग्रामीण बैंकों की अधिकृत पूंजी 2,000 करोड़ रुपये होगी। सरकार ने पहले ही इनमें पूंजी डालनी शुरू कर दी है।
वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार ने दो सालों में 5,445 करोड़ रुपये इन बैंकों में निवेश करने का फैसला किया था। वित्त वर्ष 2023-24 में आरआरबी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। उस साल इन बैंकों ने कुल 7,571 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया और पूंजी पर्याप्तता अनुपात 14.2% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
नतीजा क्या निकलेगा
इस कदम से बैंकिंग सेवाओं में एकरूपता आएगी, लागत घटेगी और ग्रामीण ग्राहकों को सुविधाएं बेहतर मिलेंगी।