Udit Raj on Operation Sindoor: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए निर्णायक हमले, जिसका कोडनेम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया है, ने देशभर में कई प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का प्रतिशोध था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। हालांकि, इस ऑपरेशन के नाम को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी नेता महुआ माजी और उदित राज ने इसके धार्मिक संदर्भों पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि यह नाम राजनीति से प्रेरित था। ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया।
‘Operation Sindoor’ की सफलता के बावजूद, इसके नाम ने एक नई बहस को जन्म दिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सांसद महुआ माजी ने इस नाम पर अपनी चिंता व्यक्त की और इसे राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखा है, जो राजनीति से प्रेरित लगता है। यह नाम धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, और सेना की कार्रवाई को लेकर कोई भी नाम तटस्थ होना चाहिए था।” कांग्रेस नेता उदित राज ने भी माजी की राय का समर्थन किया और कहा कि नाम को किसी विशेष धर्म से जोड़ने से बचना चाहिए था। उन्होंने इसे लेकर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “सिंदूर एक खास धर्म से जुड़ा हुआ प्रतीक है। बेहतर होता अगर कोई तटस्थ नाम रखा जाता।”
All Party Meeting 2025: पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर एकजुट हुआ देश
हालांकि, उनकी इन टिप्पणियों के बाद भाजपा नेताओं ने विरोध किया। भाजपा प्रवक्ता अग्निमित्र पॉल ने इसे “हिंदू संस्कृति का अपमान” कहा और जवाबी कार्रवाई में कहा कि नेताओं को इस नाम पर विवाद नहीं उठाना चाहिए था। इस विवाद के बावजूद, ऑपरेशन की सफलता को लेकर देशभर में जश्न मनाया गया है। उत्तर प्रदेश के मऊ में नागरिकों ने अस्पतालों में मिठाइयाँ बाँटी और सेना के साहस को सलाम किया।
सरकार ने Operation Sindoor के बारे में नेताओं को अवगत कराने के लिए 8 मई को संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन पर चुप्पी साधे रखते हुए केवल यह स्वीकार किया है कि उसे महत्वपूर्ण नुकसान हुआ है, लेकिन जवाबी कार्रवाई की कोई योजना नहीं बनाई है।
Operation Sindoor का नाम और इसका विवाद एक विविधतापूर्ण लोकतंत्र में सांस्कृतिक संवेदनाओं और राजनीति के बीच संतुलन बनाने की कठिनाई को उजागर करता है।