जेल गए, तो जाएगी कुर्सी! संसद में पेश हुए ऐतिहासिक बिल, हंगामा तेज़

संसद में आज ऐतिहासिक हलचल! गृह मंत्री अमित शाह ने तीन बड़े बिल पेश किए, जिनमें प्रावधान है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री अगर 30 दिन जेल में रहें, तो 31वें दिन उनकी कुर्सी स्वतः चली जाएगी।

Lok Sabha Amit Shah

Lok Sabha Monsoon Session 2025: संसद के मानसून सत्र का 20वां दिन भारतीय राजनीति के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन बड़े विधेयक पेश किए, जो सत्ता के गलियारों में भूचाल ला चुके हैं। इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक जेल में रहता है, तो 31वें दिन उसकी कुर्सी चली जाएगी। इस ऐतिहासिक फैसले का असर केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राजनीति पर गहरा पड़ने वाला है। जहां सरकार इसे “सुशासन की दिशा में ऐतिहासिक कदम” बता रही है, वहीं विपक्ष इसे “राजनीतिक हथियार” करार दे रहा है।

कौन से बिल पेश हुए?

अमित शाह ने तीन अहम बिल पेश किए:

  1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025
  2. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025
  3. केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025

तीनों विधेयकों का उद्देश्य एक ही है—नेताओं की जवाबदेही तय करना और नैतिकता को मजबूत करना

30 दिन की हिरासत = कुर्सी गई

सबसे बड़ा बिंदु यह है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी ऐसे गंभीर अपराध में गिरफ्तार होता है, जिसकी सजा 5 साल या उससे ज्यादा है, और वह लगातार 30 दिन जेल में रहता है, तो उसे 31वें दिन पद से हटा दिया जाएगा

विपक्ष का हंगामा और सरकार का पलटवार

Lok Sabha में इस बिल पर जमकर हंगामा हुआ।

अमित शाह का जवाब
गृह मंत्री ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा:

“मैं खुद 2010 में जेल गया था और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था। हम इतने निर्लज्ज नहीं हैं। यह बिल जवाबदेही और नैतिकता के लिए है, न कि बदले के लिए।”

जेपीसी को भेजा जाएगा बिल

क्यों ज़रूरी था ये कानून

आगे क्या?

जेपीसी में बिल की समीक्षा के बाद इसे Lok Sabha में पारित करने की कोशिश होगी।

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