नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। पहलगाम से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर बैसरन एक जगह है। यह जगह पर्यटकों के लिए खूब प्रसिद्ध है। इस इलाके को मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यह इलाका घने देवदार के जंगल और पहाड़ों से घिरा घास का बड़ा मैदान है। यह पर्यटकों और ट्रैकर्स का पसंदीदा स्थान है। ऐसे में मंगलवार को आतंकवादियों ने इसी इलाके पर आतंकी हमला किया। 28 सैलानियों को गोलियों से भून डाला। 15 से अधिक को घायल कर दिया। जब आतंकी हिन्दुओं को चुन-चुन कर गोली मार रहे थे, तभी उनके पहलगाम के शेर सैयद आदिल हुसैन शाह अकेले भिड़ गए। आदिल ने एक आतंकी के हाथ से राइफल छीन ली और खुद के सीने पर गोली खाकर 50 से ज्यादा पर्यटकों की जान बचा ली।
आतंकी हमले के बाद मची थी अफरा-तफरी
पललगाम के बैसरन घाटी की सुबह बहुत खूबसूरत थी। मंगलवार का दिन था। घाटी पर डेढ़ से दो हजार सैलानी मौजूद थे। सभी सैलानी वादियों का दीदार कर रहे थे। तभी आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। इससे वहां मौजूद पर्यटकों में अफरा-तफरी मच गई। टूरिस्ट डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान, सैयद आदिल हुसैन शाह नाम के एक टट्टू चलाने वाला ने बहादुरी दिखाई और आतंकवादियों से उनकी बंदूक छीनने की कोशिश की। हालांकि इस दौरान आदिल हुसैन मारे गए। कुछ चश्मदीदों ने बताया कि जब आतंकवादियों ने हमला किया, उस वक्म आदिल पर्यटकों को लेकर आए थे। वह कुछ दूरी पर बैठे थे।
तो मृतकों का बढ़ सकता था आंकड़ा
आतंकी जैसे ही लोगों को मारना शुरू किया तो वह उनके पास पहुंच गए। आतंकियों ने आदिल का धर्म पूछा। आदिल ने खुद को मुसलमान बताया। आतंकियों ने आदिल से हट जाने को कहा। पर वह आतंकियों से भिड़ गए। आदिल ने एक आतंकी के हाथ से राइफल छीन ली। कुछ दूरी पर खड़े दूसरे आतंकी ने आदिल पर गोलियों की बारिश कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। जब आदिल आतंकवादियों से भिड़े तभी मौका पाकर 50 से अधिक सैलानी जान बचाने में कामयाब रहे। खुद इसकी पुष्टि सैलानियों ने की है। सैलानियों ने बताया कि आदिल आतंकियों से नहीं भिड़ते तो मरने वालों का आंकड़ा 80-90 के पार होता। आतंकियों का समय आदिल पर बर्बाद हुआ और इसका फाएदा सैलानियों को मिल गया।
पिता ने कहा आतंकियों को मिले सजा
आदिल हुसैन पर्यटकों को घोड़े पर घुमाते थे। सैयद आदिल हुसैन शाह पर्यटकों को कार पार्किंग से बैसारन यानी घास का मैदान तक ले जाते थे। वहां पैदल ही जाया जा सकता है। आदिल हुसैन अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य भी थे। उनके परिवार में उनके बूढ़े माता-पिता, पत्नी और बच्चे हैं। परिवार ने सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। आदिल के पिता, सैयद हैदर शाह ने बताया, मेरा बेटा कल पहलगाम काम करने गया था। दोपहर करीब 3 बजे, हमें हमले के बारे में पता चला। हमने उसे फोन किया, लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था। बाद में, 4.40 बजे, उसका फोन चालू हुआ, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। हम तुरंत पुलिस स्टेशन गए। तब हमें पता चला कि उसे हमले में गोली लगी है, जो भी इसके लिए जिम्मेदार है, उसे सजा मिलनी चाहिए।
पूरे इलाके में शोर की लहर
वहीं इस घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर है। लोगों का कहना है कि आदिल शाह ने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों को बचाने की कोशिश की। उनकी बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा। पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है। आदिल के परिवारवालों ने बताया कि वह जिंदादिल इंसान थे। मुसलमान होकर भी अमरनाथ यात्रा के दौरान भगवान शिव के भक्तों की सेवा किया करते थे। परिवारवालों ने बताया कि आदिल के चलते पहलगाम के युवा बंदूक से दूरी बनाई। यहां के युवा सैलानियों को घुमाते हैं और उन्हें होटलों पर लेकर जाते हैं। स्थानीय लोग पाकिस्तान के खिलाफ आगबबूला हैं और बुधवार को प्रर्दशन भी किया।