Prashant Kishor: प्रशांत किशोर का बेल लेने से इनकार, जारी रहेगा आमरण अनशन, खुला वैनिटी वैन का राज

प्रशांत किशोर ने बीपीएससी छात्रों के समर्थन में आमरण अनशन जारी रखने का संकल्प लिया है, गिरफ्तारी के बावजूद जमानत लेने से इनकार किया। उनका यह कदम छात्रों के आंदोलन को मजबूती दे रहा है और सामाजिक बदलाव की ओर इशारा करता है।

Prashant Kishor

Prashant Kishor News: बिहार में बीपीएससी छात्रों के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर का मामला अब और ज्यादा तूल पकड़ता जा रहा है। पीके, जो गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे थे, को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और पहले एम्स अस्पताल ले जाया गया, फिर अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत दी, लेकिन उन्होंने उसे लेने से साफ इनकार कर दिया। पीके ने कहा कि यदि युवाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करना गुनाह है, तो वह जेल में रहकर भी अपना संघर्ष जारी रखेंगे। उनका यह कदम छात्रों के आंदोलन को और मजबूत करता दिख रहा है।

Prashant Kishor का यह बयान, “अगर युवाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ना गुनाह है, तो मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरी आवाज नहीं रुकेगी”, इस आंदोलन को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ है। इस साहसी फैसले से उनका संदेश स्पष्ट है—वह इस संघर्ष को एक राजनीतिक आंदोलन से ज्यादा एक सामाजिक और नैतिक उद्देश्य मानते हैं। पीके ने यह भी कहा कि अगर छात्रों का संघर्ष उनके समर्थन से जारी रहेगा, तो उन्हें जेल में रहकर भी कोई आपत्ति नहीं है। उनके इस साहसिक कदम ने न केवल छात्रों का हौंसला बढ़ाया है, बल्कि यह आंदोलन के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बन गया है।

बीपीएससी छात्रों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है, खासकर उनकी मांग की स्थिति में कि प्रारंभिक परीक्षा रद्द की जाए। इस पर पीके ने छात्रों का समर्थन करते हुए उनकी आवाज उठाई और गांधी मैदान में अनशन शुरू किया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनके प्रतिबद्धता को देखते हुए उनका अनशन जारी रखने का फैसला मजबूत हुआ।

वैनिटी वैन का रहस्य

इस बीच, Prashant Kishor की वैनिटी वैन के बारे में एक नया खुलासा हुआ है। पूर्व सांसद उदय सिंह ने बताया कि वैन की कीमत अब 8.5 लाख रुपये बची है, जबकि पहले इसे 4 करोड़ रुपये का बताया जा रहा था। यह वैन उदय सिंह के पास है और उन्होंने इसका इस्तेमाल 2019 के चुनावों में किया था। उन्होंने बताया कि उनका जुड़ाव प्रशांत किशोर से पहले जनहित के कार्यों के कारण था, जिनमें स्कूलों को डोनेशन और छात्रवृत्तियां शामिल थीं।

प्रशांत किशोर का यह संघर्ष एक सामाजिक बदलाव की ओर इशारा करता है, जो उन्हें राजनीति से ऊपर एक नैतिक उद्देश्य के रूप में प्रस्तुत करता है। उनके इस कदम ने बिहार के छात्रों के आंदोलन को और मजबूती दी है।

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