कौन है जज प्रेम कुमार, जानिए उनके संघर्ष,आरोपों और सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत की पूरी कहानी

प्रेम कुमार, एक साधारण पृष्ठभूमि से आए एडीजे, पर रिश्वत का झूठा आरोप लगा और उन्हें हटाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें न्याय देते हुए सेवा में बहाल किया।

Prem Kumar struggle to justice journey

Prem Kumar’s Journey from Struggle to Justice पंजाब के बरनाला जिले के रहने वाले प्रेम कुमार का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है। उनके पिता जूते-चप्पल बनाने का काम करते थे और मां मजदूरी करती थीं। इसी साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने मेहनत की और 2014 में पंजाब की न्यायिक सेवा में एडीजे यानी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बन गए

रिश्वत के आरोप और नौकरी से बाहर

प्रेम कुमार पर एक बलात्कार के आरोपी के भाई ने आरोप लगाया कि उन्होंने केस निपटाने के बदले ₹1.5 लाख की मांग की। इस शिकायत के आधार पर विजिलेंस जांच शुरू हुई। जांच में उन्हें “अनुचित व्यवहार” का दोषी माना गया और 2015-16 की उनकी एसीआर (वार्षिक रिपोर्ट) में उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाया गया।

हालांकि, 2019 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जांच को बंद कर दिया था। लेकिन 2021 में अदालत की फुल बेंच ने एसीआर को मंजूरी दे दी और फिर 2022 में उन्हें सेवा से निकाल दिया गया।

कानूनी लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट का आदेश

प्रेम कुमार ने अपने खिलाफ हुई इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया, लेकिन राज्य सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं था और उनके साथ अन्याय हुआ है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि प्रेम कुमार को उनकी जाति के चलते भेदभाव का सामना करना पड़ा और उन पर लगा आरोप साबित नहीं हो सका। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह फैसला सिस्टम को सुधारने की दिशा में एक जरूरी कदम है।

आम इंसान के लिए मिसाल

प्रेम कुमार की यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की उम्मीद बन सकती है जो सिस्टम से लड़ रहे हैं। एक साधारण परिवार का बेटा, जिसने बिना हार माने न्याय के लिए लंबा इंतजार किया और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से जीत हासिल की।

Exit mobile version