Priyanka Gandhi Lok Sabha debate: लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर चल रही गरम बहस के बीच कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने सेना के शौर्य को नमन करते हुए गृह मंत्री और रक्षा मंत्री से सीधा सवाल किया—”आखिर पहलगाम में हमला कैसे और क्यों हुआ?” प्रियंका ने शुभम द्विवेदी की पत्नी के बयान का हवाला देते हुए सरकार पर नागरिकों को भगवान भरोसे छोड़ने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने इंटेलिजेंस तंत्र की विफलता, पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक कमजोरी और सत्ता पक्ष के जवाबों की अपर्याप्तता को भी तीखे शब्दों में उठाया। उनका भावनात्मक भाषण संसद में गूंजता रहा।
सेना को सलाम, लेकिन सरकार से जवाब तलब
Priyanka Gandhi ने अपने भाषण की शुरुआत भारतीय सेना के योगदान को याद करते हुए की। उन्होंने 1948 से लेकर अब तक देश की अखंडता की रक्षा में सेना की भूमिका को रेखांकित किया। हालांकि उन्होंने बैसरन घाटी में हुए हमले को लेकर गंभीर सवाल उठाए—”हमले के वक्त वहां एक भी सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं था?” उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लंबे भाषण पर भी सवाल खड़े किए, जिसमें “इतिहास का पाठ” तो पढ़ाया गया, लेकिन हमले की असल वजह पर चुप्पी साधी गई।
इंटेलिजेंस फेल्योर और जवाबदेही का सवाल
Priyanka Gandhi ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) का जिक्र करते हुए इसे लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा बताया और पूछा कि क्या हमारी किसी एजेंसी को हमले की योजना की भनक नहीं लगी? उन्होंने पूछा, “क्या किसी इंटेलिजेंस प्रमुख ने इस्तीफा दिया? क्या किसी मंत्री ने जवाबदेही ली?” उनका आरोप था कि न तो सेना और न ही सरकार के किसी जिम्मेदार व्यक्ति ने नैतिक जवाबदेही ली।
मुंबई हमले से तुलना और शाह पर निशाना
उन्होंने 2008 के मुंबई हमले की तुलना करते हुए कहा कि उस समय यूपीए सरकार ने त्वरित कार्रवाई की थी और दोषियों को सज़ा मिली थी। उन्होंने याद दिलाया कि उस समय के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने इस्तीफा दिया था। वहीं मणिपुर हिंसा, दिल्ली दंगे और पहलगाम हमले के बावजूद अमित शाह आज भी गृह मंत्री हैं—इस पर उन्होंने सवाल उठाया और इसे शासन की संवेदनहीनता बताया।
कूटनीतिक विफलता और संयुक्त राष्ट्र पर टिप्पणी
ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति का अध्यक्ष बनाए जाना एक कूटनीतिक असफलता है। उन्होंने पूछा, “यह किसकी नाकामी है?” उनका इशारा सरकार की अंतरराष्ट्रीय रणनीति और डिप्लोमेसी की ओर था, जिसे उन्होंने अप्रभावी बताया।
26 परिवारों का दर्द और व्यक्तिगत पीड़ा
अपने भाषण के अंतिम हिस्से में प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में मारे गए 25 भारतीयों के नाम पढ़े और भावुक स्वर में अपने पिता राजीव गांधी की हत्या का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मेरी मां के आंसू तब गिरे थे, जब आतंकियों ने मेरे पिता को मारा था। आज मैं 26 परिवारों का दर्द यहां ला रही हूं।” उन्होंने कहा कि नेतृत्व केवल श्रेय लेने का नाम नहीं, जिम्मेदारी स्वीकार करने का नाम है।
सत्ता पक्ष पर व्यंग्य और शिव मंत्र
सत्ता पक्ष द्वारा भाषण के बीच टोकाटाकी किए जाने पर प्रियंका ने कहा, “मैं सुबह शिव मंत्र पढ़कर आई हूं, सुन लीजिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि देश हमेशा आतंकी हमलों के समय एकजुट होता है, लेकिन सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
चर्चा का माहौल और विपक्ष की भूमिका
संसद में 28 जुलाई से जारी इस चर्चा में विपक्ष लगातार सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई समेत कई नेताओं ने सरकार की तैयारी और जवाबदेही पर सवाल उठाए। जवाब में अमित शाह ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करती है, लेकिन विपक्ष को भी अपने कार्यकाल की गलतियों को याद रखना चाहिए। हालांकि, प्रियंका गांधी का भाषण सरकार की जवाबदेही को लेकर एक निर्णायक हस्तक्षेप माना जा रहा है।
Priyanka Gandhi का यह भाषण न केवल भावनात्मक था, बल्कि सरकार की सुरक्षा रणनीति, खुफिया व्यवस्था और कूटनीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। संसद में यह बहस आने वाले समय में सरकार पर दबाव बढ़ा सकती है कि वह न केवल जवाब दे, बल्कि ठोस कार्रवाई भी करे।