property rules: अगर आप भी खुद का घर, फ्लैट या जमीन खरीदने वालें हैं तो आपको प्रॉपर्टी और रजिस्ट्री से जुड़े नियमों के बारे में पता होना चाहिए। क्योंकि कुछ लोगों का मनना है कि रजिस्ट्री होने के बाद मालिकाना हक मिल जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। रजिस्ट्री के बाद मालिकाना हक के लिए इस जरूरी डॉक्यूमेंट का होना बहुत जरूरी है। चलिए जानते हैं
क्या होता है सेल डीड ड्राफ्ट
प्रॉपर्टी के मालिक या विक्रेता को प्रॉपर्टी के अधिकारों को खरीदार के नाम पर ट्रांसफर करने का अधिकार देता है। विक्रेता द्वारा सेल डीड का ड्रॉफ्ट तैयार करने के बाद प्रॉपर्टी को स्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करना चाहिए। जमीन खरीदने के लिए लोगों को रजिस्ट्री करानी होती है। रडिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया बैनामा यानी सेल डीड (Sale Deed) रजिस्टर्ड करने पर ही पूरी होती है। सबसे पहले जमीन का खरीददार और विक्रेता को आपसी सहमति से सेल डीड तैयार करवाना होता है। इसके बाद इस सेल डीड के आधार पर ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जाता है। जिस जमीन की रजिस्ट्री की जा रही है।
क्या सेल डीड है जरूरी?
कई बार लोग अक्सर पूछते हैं कि क्या सेल डीड पंजीकृत होना अनिवार्य है। तो इसका जवाब है हां, सेल डीड को पंजीकृत कराना बहुत जरुरी है। जब तक सेल डीड पंजीकृत नहीं होती है, तब तक खरीदार कानूनन प्रॉपर्टी का सही मालिक नहीं बन सकता है। सेल डीड में प्रॉपर्टी हस्तांतरण अधिनियम के अनुसार कई खंड शामिल होने चाहिए। सेल डीड का ड्रॉफ्ट बनाते समय आवश्यक डॉक्यूमेंट्स में बिल्डिंग प्लान, बिल्डर द्वारा आवंटन पत्र, टैक्स स्लीप, उपयोगिता बिल (बिजली), पावर ऑफ अटॉर्नी (यदि लागू हो), टाइटल डॉक्यूमेंट, और प्रॉपर्टी के रीसेल के मामले में पहले से पंजीकृत सभी समझौते शामिल हैं।
पूरी तरह करे जाँच
किसी भी प्लॉट या जमीन की रजिस्ट्री देखते समय केवल आखरी मालिक के कागजात देखना काफी नहीं है। रजिस्ट्री फर्जी तो नहीं है इसकी जांच करने के लिए पुरानी रजिस्ट्री यानी पूरे चैन को देखें। इससे पहले यह जमीन किसके नाम पर थी और कितने रुपये में खरीदा गया है यह सभी चीजें रजिस्ट्री चैन में देख सकते हैं। अगर आपको जमीन के डॉक्यूमेंट देखते समय किसी तरह से शक हो तो कानूनी सलाहकार से मदद ले सकते हैं।