Sanjeev Khanna : भारत के मौजूदा चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं। उनके बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक, जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 से चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल छह महीने का रहेगा और वे 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। सरकार ने उनके नाम की सिफारिश कर दी है और उनका नाम न्यायपालिका में काफी सम्मानित है।
कौन है जस्टिस Sanjeev Khanna
जस्टिस संजीव खन्ना भारतीय न्यायिक प्रणाली के सम्मानित न्यायाधीशों में से एक हैं। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के जज के रूप में भी सेवाएं दी हैं। खास बात यह है कि उनके पिता, देव राज खन्ना भी दिल्ली हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं, जिससे न्यायिक परंपरा उनके परिवार से गहरे रूप में जुड़ी हुई है।
शिक्षा और प्रारंभिक करियर
जस्टिस खन्ना ने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की है. जहां से उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में वकालत की शुरुआत की और धीरे-धीरे उच्च-स्तरीय मामलों में अनुभव हासिल किया। उनके कानूनी कौशल और गहरी समझ ने उन्हें भारतीय न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
अपने करियर के दौरान जस्टिस खन्ना ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली है। वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं, जो कमजोर वर्गों को कानूनी सहायता प्रदान करने का काम करता है। इसके साथ ही वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं, जिसका उद्देश्य न्याय को सब तक पहुंचाना है। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय दिलाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
जस्टिस खन्ना के फैसलों में निष्पक्षता और कानून के प्रति उनकी प्रतिबद्धता साफ झलकती है। उनके द्वारा दिए गए कई महत्वपूर्ण फैसलों ने न केवल कानून को स्पष्ट किया, बल्कि न्याय के प्रति समाज में एक नई समझ भी विकसित की है। वे यह मानते हैं कि न्याय केवल कानून के आधार पर नहीं बल्कि नैतिकता और मानवता के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।
चुनौतियों से भरा कार्यकाल
जस्टिस Sanjeev Khanna का कार्यकाल न्यायपालिका के लिए कई महत्वपूर्ण चुनौतियां लेकर आ सकता है। भारतीय न्याय प्रणाली में लंबित मामलों की संख्या ज्यादा है। जस्टिस खन्ना के सामने यह एक बड़ी चुनौती होगी और इसे कम करने के लिए उन्हें प्रभावी कदम उठाने होंगे।
वहीं समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाना हमेशा से एक चुनौती रहा है। जस्टिस खन्ना ने इस दिशा में पहले भी काम किया है और उनसे उम्मीद है कि वे इसे और आगे बढ़ाएंगे। न्यायिक प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल न्यायपालिका के लिए एक नई दिशा और सुधार की उम्मीद लेकर आ सकता है। उनके अनुभव और कौशल से यह उम्मीद की जा रही है कि वे भारतीय न्याय प्रणाली को और सशक्त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।