नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत, गिरफ्तारी पर रोक जैसे आदेश जेल अधिकारियों और जांच एजेंसियों तक जल्द पहुंचाने के लिए नई व्यवस्था FASTER शुरू की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन आफ इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स (FASTER) को वर्चुअली कार्यक्रम के ज़रिय लांच किया। FASTER सिस्टम के ज़रिए अदालत के फैसलों की तेजी से जानकारी मिल सकेगी और उस पर तेजी से आगे की कार्यवाही संभव हो सकेगी। FASTER सिस्टम के आने के बाद कैदियों को जमानत के दस्तावेजों की हार्ड कॉपी के जेल प्रशासन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने FASTER सिस्टम को लांच करते हुए कहा कि जुलाई में एक खबर छपी थी जिसमें कोर्ट के आदेश के बाद भी कुछ कैदियों को जेल से रिहा करने में तीन दिन की देरी हुई थी। इस पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू हुई थी। अपने आदेशों को संबंधित पक्षों तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन के सिस्टम को लागू करने के निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा FASTER का मकसद कोर्ट के आदेश को तेज़ी से जेल अधिकारियों तक पहुंचना है। सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश को बिना किसी छेड़छाड़ के सुरक्षित पहुंचना इसका मकसद है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इसके लिए 73 नोडल अधिकारियों को हाई कोर्ट के स्तर पर नामित किया और सुरक्षित ईमेल आईडी की स्थापना की गई। इन नोडल अधिकारियों की कुल 1,887 ई-मेल आईडी हैं। जिसके जरिये तेजी से जमानत के आदेश अधिकारियों तक पहुंचाएंगे और इस पर अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर होंगे। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि FASTER आदेश की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करती है, दूसरे फेज में आदेश की फिज़ीकल कॉपी को प्रसारित किया जाएगा।
फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन आफ इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स (FASTER) को वर्चुअल कार्यक्रम के जरिये सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एनवी रमना ने लांच किया। कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों समेत देश के सभी हाई कोर्ट के जज और वरिष्ठ वकील मौजूद रहे। दरअसल पिछले साल 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आगरा जेल में बंद 13 कैदियों की तुरंत रिहाई का आदेश दिया था। सभी कैदी आगरा जेल में 14 से 22 साल से बंद थे और सभी कैदी अपराध के समय नाबालिग थे। इस आधार पर कोर्ट ने सभी कैदियों की तुरंत रिहाई का आदेश दिया था लेकिन रिहाई में तीन दिन से भी ज़्यादा का समय लग गया था, इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी सुरक्षित व्यवस्था बनाने का आदेश दिया जिससे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी हुआ आदेश तुरंत हाई कोर्ट, ज़िला कोर्ट और जेल प्रशासन तक पहुंचाया जा सके।