Supreme Court Waqf Amendment Act 2025: देश की सबसे बड़ी अदालत ने आज ऐसा धमाकेदार फैसला सुनाया है, जिसने पूरे देश की राजनीति, समाज और धर्म जगत में भूचाल ला दिया है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 पर अहम आदेश देते हुए सरकार को करारा झटका और मुस्लिम समाज को आंशिक राहत दी है। अदालत ने एक्ट की उस विवादित धारा पर तत्काल स्टे लगा दिया है, जिसमें कार्यपालिका को यह अधिकार दिया गया था कि किसी भी विवादित संपत्ति को जांच के बाद वक्फ मानने या न मानने का फैसला किया जा सके। यानी अब सरकार मनमानी तरीके से वक्फ जमीन को डिनोटिफाई नहीं कर सकेगी। बाकी प्रावधान जैसे अतिक्रमण-रोधी और पंजीकरण से जुड़े नियम लागू रहेंगे। Supreme Court का यह फैसला न केवल न्यायिक संतुलन का नमूना है बल्कि सियासी बहस की नई चिंगारी भी साबित हो रहा है।
फैसले का दिल
Supreme Court ने साफ किया कि “एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ” की इस्लामी परंपरा फिलहाल सुरक्षित रहेगी। यानी सरकार अब किसी कोर्ट के आदेश, दस्तावेज़ या रिवाज से वक्फ घोषित जमीन को सीधे छीन नहीं सकती। यह प्रावधान फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
एक्ट को लेकर घमासान
- मुस्लिम संगठनों ने इस एक्ट को “समुदाय की संपत्ति पर सेंध” बताया था।
- याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पंजीकरण और सरकारी दखल से वक्फ की पवित्रता खत्म होगी।
- केंद्र ने जवाब दिया कि वक्फ बनाना कोई “आवश्यक धार्मिक प्रथा” नहीं है और यह केवल चैरिटी है।
अदालत की नसीहत
सीजेआई गवई ने कहा कि कानून को रोका जाना बहुत दुर्लभ स्थिति में होता है, लेकिन यहां केवल उसी धारा पर रोक लगाई गई है जो विवादित थी। बाकी एक्ट को लागू रहने दिया गया है।
आगे की राह
- वक्फ संपत्तियां फिलहाल सरकारी डिनोटिफिकेशन से बची रहेंगी।
- सरकार अतिक्रमण-रोधी और पंजीकरण प्रक्रिया जारी रख सकेगी।
- एक्ट की संवैधानिकता पर अंतिम सुनवाई अभी बाकी है।
नतीजा
देशभर में इस फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो चुकी है। मुस्लिम संगठन इसे राहत मान रहे हैं, जबकि सरकार समर्थक इसे सुधार की दिशा में ठहराव बता रहे हैं। यह फैसला न सिर्फ कानूनी इतिहास में मील का पत्थर है बल्कि आने वाले चुनावी परिदृश्य को भी हिला देगा।