गुजरात से म्यांमार और फिर वापसी: शुरू हुआ 1206 का सफर
विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को रंगून, म्यांमार में हुआ था। उनका परिवार जल्द ही भारत लौट आया और राजकोट में बस गया। एक मध्यमवर्गीय परिवार में पले विजय ने युवावस्था में ही संघ और जनसंघ से जुड़ाव बना लिया। लेकिन असली चमत्कार तब शुरू हुआ जब कॉलेज के दिनों में उन्होंने पहली बार एक स्कूटी खरीदी—जिसका नंबर था GJ-3-C-1206।
“ये मेरा नंबर है, ये मुझे आगे ले जाएगा,” यह बात उन्होंने उस दिन मज़ाक में कही थी, लेकिन वह नंबर फिर कभी उनसे नहीं छूटा।
सियासत में चढ़ता सफर, 1206 हर मोड़ पर साथ
नगरपालिका चुनाव से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक, Vijay Rupani का हर सफर 1206 के साथ जुड़ता गया। उनके करीबी बताते हैं कि वह जब भी कोई बड़ा फैसला लेते, तो उस नंबर की ओर देखते थे जैसे कोई अमोघ शक्ति उसमें बसती हो। उनका मोबाइल नंबर, नई कार, यहाँ तक कि सरकारी गाड़ी की नंबर प्लेट तक 1206 से लैस होती।
2016 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय भी उनकी गाड़ी पर वही जादुई अंक चमक रहा था। उनके समर्थक मानते हैं कि 1206 विजयभाई के लिए सिर्फ अंक नहीं, एक आध्यात्मिक ऊर्जा बन चुका था।
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12.06.2025: भाग्य का वह अंतिम मोड़
12 जून 2025, वही 12.06, Vijay Rupani एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 से लंदन जा रहे थे। सीट थी 2D, और चेहरे पर वही सादगी भरी मुस्कान। लेकिन विमान टेक-ऑफ के कुछ ही मिनट बाद क्रैश हो गया।
241 लोगों की जानें गईं, जिनमें विजय भी शामिल थे। राजकोट में मातम पसर गया। लेकिन जब लोगों ने हादसे की तारीख देखी—12.06—तो रूहें काँप गईं। वही नंबर, जिसने विजयभाई को पहचान दी, वही तारीख बन गई उनकी विदाई की।
लोगों ने इसे नियति कहा, कुछ ने चमत्कार, और कुछ ने इसे “एक पवित्र चक्र की पूर्णता” बताया।
1206: अब सिर्फ़ अंक नहीं, एक अमर प्रतीक
आज भी राजकोट में रूपाणी का पुराना घर खड़ा है। बाहर खड़ी है वही स्कूटी, वही कार—जिसकी नंबर प्लेट पर चमकता है 1206। लेकिन अब वह नंबर किसी वाहन की पहचान नहीं, बल्कि एक आदर्श की विरासत बन चुका है।
विजय रूपाणी की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आपके पास आत्मविश्वास, कर्म और संकल्प हो, तो किस्मत भी आपके पीछे चलती है—शायद किसी 1206 की शक्ल में।
नोट: यह एक काल्पनिक समाचार कथा है, जो विजय रूपाणी के जीवन से प्रेरणा लेकर गढ़ी गई है। इसका उद्देश्य केवल प्रेरणा देना है, तथ्यात्मक समाचार नहीं।