वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर, 2024 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर होगा। इस प्रकार, दशहरे का पर्व इस वर्ष शनिवार, 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है।
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इस वर्ष रावण दहन का मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
- रावण दहन मुहूर्त: शाम 05 बजकर 54 मिनट से शाम 07 बजकर 26 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक
- अपराह्न पूजा का समय: दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक
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क्या है दशहरे की मान्यताएं
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दशहरे का ऐतिहासिक महत्व
दशहरा या विजयादशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व भगवान राम द्वारा रावण के वध के लिए स्मरण किया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था, जिससे बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश मिलता है8.
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माता दुर्गा का वध
यह पर्व देवी दुर्गा के महिषासुर पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि माता दुर्गा ने आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को महिषासुर का वध किया था। इसी दिन से विजयादशमी के पर्व की परंपरा शुरू हुई।
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पांडवों की विजय
दशहरा का दिन पांडवों की अज्ञातवास के बाद पुनः शक्ति प्राप्ति का भी दिन है। इसी दिन पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी। यह दिन शक्ति और साहस का पर्व भी है, जिस दिन पांडवों ने अपने शस्त्रों की पूजा की और विजय की प्राप्ति की।
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कृषि उत्सव
दशहरा अपने आप में एक कृषि उत्सव भी है। प्राचीन काल से यह त्योहार फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है। किसान जब अपनी पहली फसल घर लाते हैं, तब यह उत्सव मनाया जाता है। इससे यह दर्शाया जाता है कि यह पर्व कामना और समृद्धि का प्रतीक है।
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पूजा और अनुष्ठान
इस दिन शस्त्र पूजा का आयोजन भी किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन नए कार्य की शुरुआत करना शुभ होता है। लोग इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा कर उन्हें फसल कटाई के बाद अच्छी फसल और समृद्धि की कामना के साथ शुभ मुहूर्त में उन्हें पुनः हथियार बनाते हैं।
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सामाजिक एकता का पर्व
दशहरा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और उत्साह का भी प्रतीक है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं और लोग एकजुट होकर रावण का पुतला जलाते हैं, जो सामाजिक मेलजोल और सहयोग की भावना को दर्शाता है.
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रावण दहन
दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन करना पारंपरिक मान्यता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है। रावण दहन के समय लोग एकत्रित होकर इस परंपरा को मनाते हैं, जिससे समुदाय में एकता और उल्लास का वातावरण बनता है।
इन मान्यताओं के माध्यम से दशहरा न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और समाज की मूल भावना का भी प्रतिनिधित्व करता है।
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