नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। संसद के चालू बजट सत्र के पहले हाफ की कार्यवाही का आज अंतिम दिन है। जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी, जिसे आज संसद में पेश किया जाना है। जिसके चलते लोकसभा में विपक्षी ने हंगामा शुरू कर दिया और कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थागित कर दी गई। वहीं बीजेपी सांसद मेधा विश्राम कुलकर्णी ने वक्फ पर जेपीसी रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दी है। उच्च सदन ने रिपोर्ट को स्वीकार भी कर लिया है। विपक्षी सदस्यों ने वक्फ बिल को वापस लेने की मांग करते हुए इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया है।
जेसीपी के ये हैं सदस्य
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर जेपीसी की घोषणा की थी। जिसमें जगदंबिका पाल को अध्यक्ष नामित किया गया था। लोकसभा से जेपीसी में कांग्रेस से सदस्यों में गौरव गोगोई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद शामिल हैं। मोहिबुल्लाह (समाजवादी पार्टी); कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस); ए राजा (डीएमके); लावु श्री कृष्ण देवरायलु (तेलुगु देशम पार्टी); दिलेश्वर कामैत (जेडीयू); अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी); सुरेश म्हात्रे (एनसीपी-शरद पवार); नरेश म्हस्के (शिवसेना); अरुण भारती (लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास); और असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) पैनल के सदस्य हैं।
राज्यसभा से जेसीपी के सदस्य
राज्यसभा में चार-चार सदस्य बीजेपी और विपक्ष से हैं, जबकि एक मनोनीत सदस्य है। राज्यसभा से शामिल सदस्यों में बृज लाल (भाजपा), मेधा विश्राम कुलकर्णी (बीजेपी), गुलाम अली (बीजेपी), राधा मोहन दास अग्रवाल (बीजेपी); सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस); मोहम्मद नदीमुल हक (तृणमूल कांग्रेस); वी विजयसाई रेड्डी (वाईएसआरसीपी); एम मोहम्मद अब्दुल्ला (डीएमके); संजय सिंह (आप) और मनोनीत सदस्य धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े शामिल हैं। जेसीपी बनने के बाद अध्यक्ष ने कईदिनों तक देश के आजमन से चर्चा की। सदस्यों की बातों को सुना और बिल में संशोधन किए और आखिर में उसे लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश कर दिया।
58898 अतिक्रमण के मामले
लोकसभा के अध्यक्ष को सौंपी गई जेपीसी की रिपोर्ट में देश भर की विवादित वक्फ संपत्तियों के मामले का भी विस्तृत ब्योरा दिया गया है। वामसी पोर्टल के मुताबिक, वक्फ बोर्ड की जमीनों पर कुल 58898 अतिक्रमण के मामले सामने आए हैं। इसमें से 5220 अतिक्रमण के मामले देश भर में ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं और 1340 मामले संपत्ति हड़पने के भी चल रहे हैं। वक्फ से संबंधित ट्रिब्यूनल में कुल 19207 मुकदमे चल रहे हैं, जिसके जमीन हड़पने और अतिक्रमण को मिलकर कुल 6560 मामले चल रहे हैं। वक्फ की संपत्ति पर अतिक्रमण की राज्यवार अगर बात की जाए तो पंजाब में वक्फ की जमीन पर 42684 अतिक्रमण के मामले में हैं, जिसमें 48 केस चल रहे हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश इस मामले में तीसरे स्थान पर है, जहां वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण के कुल 2229 मामले हैं।
2133 अतिक्रमण के मामले
उत्तर प्रदेश में शिया सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ की 96 जमीनों पर अतिक्रमण के मामले सामने आए हैं। वहां कोई केस नहीं चल रहा है। यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ की जमीन पर 2133 अतिक्रमण के मामले हैं और वहां 146 केस चल रहे हैं। वक्फ के नाम पर सरकारी जमीनें कब्जाने में प्रदेश में अयोध्या, शाहजहांपुर, रामपुर,जौनपुर और बरेली जिले सबसे आगे हैं. इनमें से प्रत्येक जिले में वक्फ बोर्ड दो हजार या उससे ज्यादा संपत्तियों पर अपना दावा कर रहे हैं। बिहार में शिया और सुन्नी वक्फ संपत्ति के अतिक्रमण के 243 मामले हैं, जबकि 206 मामले ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं।
जमीन पर अतिक्रमण के 1802 मामले
अंडमान और निकोबार में 7 अतिक्रमण के मामले वक्फ की संपत्तियां पर हैं, जिसे लेकर केस भी दर्ज हैं। आंध्र प्रदेश में वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण के 1802 मामले हैं, जिनमें से 844 मामले ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं। वहीं, असम में अतिक्रमण का सिर्फ़ एक मामला है, जबकि अतिक्रमण से संबंधित 21 केस चल रहे हैं। वक्फ संशोधन विधेयक पर बनी जेपीसी ने लोकसभा अध्यक्ष को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें ये बताया है कि एएसआई द्वारा संरक्षित देशभर में 280 स्मारक स्थलों पर वक्फ ने अपना दावा ठोका है। इसे लेकर विवाद की स्थति बनी हुई है। दिल्ली में केंद्र सरकार के अंतर्गत एसआई के 75 मोनूमेंट को भी वक्फ ने अपनी संपत्ति बताया है।
मुहम्मद ग़ोरी ने रखी थी नींव
भारत में वक्फ की अवधारणा दिल्ली सल्तनत के समय से चली आ रही है, जिसके एक उदाहरण में सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर (मुहम्मद ग़ोरी) की ओर से मुल्तान की जामा मस्जिद को एक गांव समर्पित कर दिया गया था। साल 1923 में अंग्रेजों के शासन काल के दौरान मुसलमान वक्फ अधिनियम इसे विनियमित करने का पहला प्रयास था। साल 1954 में स्वतंत्र भारत में वक्फ अधिनियम पहली बार संसद की ओर से पारित किया गया था। साल 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से बदला गया, जिसने वक्फ बोर्डों को और ज्यादा शक्ति दी। शक्ति में इस इजाफे के साथ अतिक्रमण और वक्फ संपत्तियों के अवैध पट्टे और बिक्री की शिकायतों भी बढ़ गईं।
भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि धारक
रेलवे और रक्षा विभाग के बाद वक्फ बोर्ड कथित तौर पर भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि धारक है। वक्फ बोर्ड भारत भर में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड सहित 32 वक्फ बोर्ड हैं। राज्य वक्फ बोर्ड का नियंत्रण लगभग 200 व्यक्तियों के हाथों में है। साल 2013 में, अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों का दावा करने के लिए असीमित अधिकार प्रदान किए गए। संशोधनों ने वक्फ संपत्तियों की बिक्री को असंभव बना दिया।
कुछ इस तरह से बोले जगदम्बिका पाल
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा, आज जेपीसी और वक्फ की रिपोर्ट को लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यसूची पर रखा है, जिसे आज हम प्रस्तुत करने जा रहे हैं। 6 महीने पूर्व जब सरकार इस बिल पर संशोधन लेकर आई थी तब केंद्रीय मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आग्रह किया था कि इस बिल पर विस्तार से चर्चा की जाए। क्योंकि यह देश का ज्वलंत मुद्दा है। जेपीसी ने पूरे 6 महीनें में कई बैठकों और सभी राज्यों के दौरे के बाद रिपोर्ट तैयार की है।
कुछ इस तरह से बोले बीजेपी सांसद
बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने वक्फ संशोधन विधेयक पर कहा, “जो जेसीपी गठित हुई थी, उन्होंने बड़े पैमाने पर लोगों की राय मांगी थी जिसमें धर्म गुरू, सरकारी पक्ष और जनता शामिल थे। वृहद पैमाने पर विचार-विमर्श के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। मोदी सरकार अपने सुधारों के लिए जानी जाती रही है। यह एक अच्छा संशोधन बिल होगा और इसमें सभी वर्गों के हितों का संरक्षण होगा। वहीं विपक्षी सांसदों ने इस बिल का जोरदार तरीके से विरोध किया और इसे वापस लिए जाने की मांग की।