नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। सावन का पवित्र महिना चल रहा है। शिवालय सजे हुए हैं और भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। कांवड़ियों के जत्थे निकल रहे हैं और गंगा के जल से भगवान शंकर का जलाभिषेक कर रहे हैं। ऐसे पावन पर्व पर इंडियन आर्मी को भी महादेव का आर्शीवाद मिला। जवानों ने पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड 20 लाख के इनामिया आतंकवादी हाशिम मूसा उर्फ फौजी को ऑपरेशन महादेव के दौरान एनकाउंटर में ढेर कर दिया। .हाशिम मूसा को न सिर्फ पहलगाम हमले का साजिशकर्ता माना जाता था, बल्कि वह सोनमर्ग टनल हमले का भी जिम्मेदार था।
पहलगाम में आतंकियों ने किया था नरसंहार
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बाइसरन घाटी में पांच आतंकियों ने 26 पर्यटकों पर हमला किया था। इनमें ज्यादातर हिंदू थे। एक ईसाई पर्यटक व एक स्थानीय मुस्लिम भी मारा गया। इस हमले को पाकिस्तान के आतंकियों ने अंजाम दिया था। द रेजिस्टेंस फ्रंट जो लश्कर का मोहरा है, ने हमले जिम्मेदारी ली थी। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाक के अंदर घुसकर आतंकियों के नौ ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया था। इस कार्रवाई में सौ से ज्यादा आतंकी मारे गए थे। पाकिस्तान सेना ने भारत पर हमले का प्रयास किया। भारतीय सेनाओं ने भी पलटवार किया और आतंकी मुल्क के 11 से अधिक एयरबेसों को उड़ा दिया।
ऐसे मारा गया आतंकी मूसा
पहलगाम आतंकी हमले से पहले सोनमर्ग के मोर्ह टनल के पास भी एक बड़ा अटैक हुआ था। इस हमले में सात लोग मारे गए, जिसमें छह मजदूर और एक डॉक्टर शामिल थे। यह हमला भी लश्कर से जुड़े आतंकियों ने अंजाम दिया था। हाशिम मूसा का नाम इसमें सामने आया था। इंडियन आर्मी के जवान पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन महादेव लांच किया। सटीक सूचना पर जवानों ने मूसा समेत तीन आतंकियों को घेर लिया। खुद को घिरा देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड मूसा समेत तीनों आतंकी मारे गए। आतंकियों के पास से भारी मात्रा में असलहा और गोला-बारूद बरामद किया गया है।
कौन था आतंकी मूसा
हाशिम मूसा, जिसे सुलैमान शाह मूसा फौजी भी कहा जाता है, लश्कर-ए-तैयबा का एक खतरनाक कमांडर था। हाशिम मूसा पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप का पैरा-कमांडो था, जो एक खास ट्रेनिंग वाली सेना इकाई है। 2022 में वह भारत में घुसपैठ कर लश्कर में शामिल हो गया। कई हमलों की साजिश रची। हमलों का मास्टरमाइंडः पहलगाम हमले की प्लानिंग और एग्जिक्यूशन में उसकी बड़ी भूमिका थी। वह बाइसरन घाटी में 15 अप्रैल से मौजूद था और सात दिन तक रेकी (जासूसी) की थी। सोनमर्ग टनल हमले में भी उसने नेतृत्व किया था, जिसमें सात लोगों की जान गई थी। मूसा दाचीगाम और लिडवास के जंगलों में छिपा हुआ था, जहां से वह पाकिस्तान भागने की फिराक में था। हाशिम मूसा को पकड़ने या मारने के लिए सेना ने 20 लाख रुपये का इनाम रखा था।
96 दिन तक चला ऑपरेशन महादेव
पहलगाम हमले के 96 दिन बाद शुरू हुआ ऑपरेशन महादेव हाशिम मूसा को खत्म करने में सफल रहा। मूसा का खात्मा करने के लिए सेना ने ड्रोन, थर्मल इमेजिंग, और मानव खुफिया (ह्यूमिंट) से इसकी लोकेशन ट्रैक की। लिडवास के जंगलों में उसकी मौजूदगी का पता चला। 28 जुलाई 2025 की सुबह सेना ने इलाके को घेर लिया। हाशिम और उसके दो साथियों ने गोलीबारी शुरू की, लेकिन 6 घंटे की मुठभेड़ के बाद तीनों मारे गए। हाशिम के पास से पाकिस्तानी पासपोर्ट और सैटेलाइट फोन भी मिला, जो आईएसआई से संपर्क दिखाता है। सेना ने इस ऑपरेशन में स्वदेशी ड्रोन और रडार का इस्तेमाल किया, जो जंगलों में छिपे आतंकियों को ढूंढने में मददगार रहा। 96 दिन तक चले इस ऑपरेशन में जासूसी, घेराबंदी और सटीक हमले शामिल थे।