एक ट्वीट ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया। हां जब बात हो नौकरी या भर्ती की तो इस तरह के ट्वीट सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन जाते हैं और लोग जमकर इसे शेयर करते है पर उस वक्त कोई यह नहीं जानता की ये सूचना सही है या फिर फेक।
जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में फैलने वाली फेक न्यूज पर हाल ही में चिंता जाहिर की थी। उन्होंने राज्यों के ग्रेहमंत्रियों के चिंता शिविर में कहा था कि किसी भी न्यूज को फॉरवर्ड करने से पहले फैक्ट चेक कर ले। कोई भी गलत न्यूज देश में बड़ा बवाल करा सकती है। सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल और फेक न्यूज के बढ़ते खतरे को देखते हुए यूपी के 10 जिलों में हाईटेक सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल बनाए जाने का फ़ैसला लिया गया है। इस बीच 5 साल से यूपी में भर्ती नही होने के सोशल मीडिया पर दावे का यूपी पुलिस ने Fact Check कर लिया हैं।
“पिछले 5 साल से यूपी पुलिस में कोई भी भर्ती नही हुई“
दरअसल, इन खबरों में मुख्य्मंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा जा रहा है की पिछले 5 साल से यूपी पुलिस में कोई भी भर्ती नही हुई है, कोई वैकेंसी ही नहीं निकली है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन दावों के साथ चलाए जा रहे #UP_POLICE_VACANCY को लेकर कहा की सुनियोजित तरीके से ऐसा किया जा रहा है। इन हैंडलो में से कोई पूछ रहा है की यूपी पुलिस पर भर्ती कब होगी, तो कोई मीम्स शेयर कर के निशाना साध रहा है। साथ ही लिखा जा रहा है की 2018 में भर्तियां हुई थी, अब 2023 आने जा रहा गई। वहीं एक ने लिखा, “भाषण नहीं, रोजगार चाहिए”। एक अन्य ने दावा किया की यूपी पुलिस में नौकरी के इंतजार में युवा ओवरएज हो रहे है।
यूपी पुलिस ने किया खंडन
अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सफाई देते हुए आँकड़ो के साथ इसका खंडन किया है। यूपी पुलिस ने बताया कि पिछले 5 वर्षो में कुल 1, 53,728 भर्तियाँ की गई हैं, जिनमें 22,000 से भी अधिक महिलाएँ पुलिसकर्मी बनी हैं। इसी तरह, यूपी पुलिस ने बताया कि विभिन्न संवर्गो के 18,332 नए पदों का भी सृजन किया गया है।
उत्तर प्रदेश की पुलिस ने ये भी जानकारी दी कि फ़िलहाल विभाग में 45,689 रिक्तियँ है, जिन पर भर्ती की प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी। याद दिला दें कि फरवरी 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद बताया था कि बीते 5 वर्षों में कानून का राज स्थापित करने के लिए यूपी पुलिस में लगभग 1.5 लाख भर्तियाँ हुई हैं, जबकि इससे पहले के 15 सालों में सवा लाख से भी कम भर्तियाँ हुई थीं।