यूक्रेन की तरह फिनलैंड की हालत हो जाएगी. क्योंकि फिनलैंड वही कर रहा है.जो यूक्रेन ने किया और हालात भी ऐसे होते जा रहे हैं. जो नाटो फिनलैंड को गले लगाने का जोश भर रहा था.वही अब सदस्यता को लटकाता नजर आ रहा है.ये अलग बात है.इसके पीछे टर्की का प्रेशर है.
अगर गौर किया जाए तो पुतिन यूक्रेन पर हमला करने से पहले, लगातार कहते रहे, कि वो कभी भी यूक्रेन पर अटैक नहीं करेंगे.. लेकिन 24 फरवरी को यूक्रेन पर मिसाइल दाग दी.. इसी तरह फिनलैंड और स्वीडन को लेकर भी पुतिन कह चुके हैं.. दोनों देशों से रूस को कोई खतरा नहीं.. बावजूद इसके पुतिन ने बॉर्डर पर घातक वैपन तैनात कर दिए हैं
क्रेमलिन से जो आदेश आता है.. वो आदेश पुतिन की रजामंदी के बिना मुमकिन नहीं.. अब अगर फिनलैंड बॉर्डर से लेकर बाल्टिक तक फोर्स का डिप्लॉयमेंट किया गया है.. तो इसके पीछे जरूर कोई बड़ी वजह है.. कहीं ऐसा तो नहीं पुतिन दुनिया से हमला नहीं करने की बात कह रहे हों.. और अचानक से फिनलैंड पर बम फोड़ दें.. क्योकि वो यूक्रेन में ऐसा ही कर चुके हैं
दिसंबर 2021 की बात है। यूक्रेन ने अमेरिकी दबदबे वाले सैन्य गठबंधन NATO से जुड़ने की इच्छा जाहिर की थी.. तब पुतिन कुछ नहीं बोले.. लेकिन करीब 3 महीने बाद यूक्रेन पर हमला कर दिया.. ऐसी ही स्थिति अब है.. फिनलैंड और स्वीडन पर पुतिन करीब-करीब खामोश ही हैं.. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो एक्शन नहीं लेंगे
स्वीडन और फिनलैंड के NATO से जुड़ने का एलान पुतिन के लिए दोहरे झटके के रूप में देखा जा रहा है। इसका कारण है कि स्वीडन और फिनलैंड 200 साल से तटस्थ रुख अपनाए हुए थे। स्वीडन और फिनलैंड की घोषणा से न सिर्फ पुतिन की अंतरराष्ट्रीय छवि, बल्कि घर के अंदर भी उनकी इमेज को धक्का पहुंचा है.. जाहिर है… पुतिन इतनी आसानी से दोनों को छोड़ेंगे नहीं..क्योंकि उनकी नाक का सवाल है
इसी साल जनवरी में जब रूसी सेना यूक्रेन से सीमा के पास जमा हो रही थी तो फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मेरिन ने कहा था कि उनके देश के NATO से जुड़ने की संभावना बहुत कम है। वहीं यूक्रेन पर हमले के बाद 2 अप्रैल को सना ने कहा कि रूस वैसा पड़ोसी नहीं है, जैसा हमने सोचा था। उसके साथ हमारे रिश्ते इस तरह बदले हैं कि अब इसके पहले जैसे होने की उम्मीद नहीं है।
(BY: VANSHIKA SINGH)