नईदिल्ली। संसद मे बजट सत्र के दौरान बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह ने Places of Worship Act 1991 को खत्म करने की मांग की। उन्होंने एक्ट को लकेर कहा कि यह कानून न्यायिक समीक्षा पर रोक लगाता है। और न्याय संविधान की बुनियादी विशेषता है। ऐसे में यह कानून मनमाना और तर्कहीन है। उन्होंने कानून को लेकर कहा कि यह बौद्ध, जैन, सिख और हिन्दू समुदाय के अनुयाईयों के धर्मिक अधिकारों को कम करता है तथा राम और कृष्ण के बिच भेदभाव पैदा करता है।
संविधान की मूल संरचना पर प्रश्न उठाता है कानून : सांसद
हरनाथ सिंह ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि यह विषय संविधान में वर्णित समानता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। जबकि समानता और धर्मनिरपेक्षता संविधान की प्रस्तावना और उसकी मूल संरचना का अभिन्न हिस्सा है। इसलिए इस कानून को खत्म करना चाहिए।
आज राज्य सभा में शून्यकाल में मेरे द्वारा #पूजा_स्थल_कानून_1991 निरस्त करने का मुद्दा उठाया गया।
"यह कानून भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण के बीच भेद करता है जबकि दोनों भगवान विष्णु के अवतार हैं।"
"यह कानून हिंदू, जैन, सिक्ख, बौद्धों के धार्मिक अधिकारों का हनन करता है।"— सुने… pic.twitter.com/dEKwrdYMu4
— हरनाथ सिंह यादव (मोदी का परिवार) (@harnathsinghmp) February 5, 2024
क्या है Places of Worship Act 1991 ?
1991 में लागू इस Places of Worship Act 1991 के तहत 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में रहे किसी भी धार्मिक पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो वो इस कानून का उल्लंघन करने का प्रयास करेगा। जिसके लिए उसे सजा के तौर पर जुर्माना और तीन साल तक की जेल या दोनों हो सकती है। ऐसे में 15 अगस्त 1947 से मौजूद किसी भी धार्मिक जगहों को अदालत या सरकार की तरफ से बदला नहीं जा सकता।
इस कानून में 5 धराएं है।
- धारा- 2 : 15 अगस्त 1947 में मौजूद किसी धार्मिक स्थल में बदलाव को लेकर यदि कोई याचिका कोर्ट में पेंडिंग है तो उसे तत्काल बंद कर दिया जाएगा।
- धारा- 3 : किसी भी धार्मिक स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से किसी दूसरे धर्म में बदलने की अनुमति नहीं होगी। धारा यह सुनिश्चित करती है कि एक धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के रूप में ना बदला जाय। और एक ही धर्म के अलग खंडों में भी ना बदला जाए।
- धारा- 4 (1): 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थल जैसे थे, जिस स्थान पर थे वहीं और उसी तरह रहेंगे।
- धारा- 4 (2): कानून के लागू होने की तारीख तक पेंडिंग सभी केस निरस्त हो जाएंगे। और मामले में कोई भी मुकदमा या कानूनी कार्यवाही रोका जाएगा।
- धारा- 5 : कानून रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले और इससे संबंधित किसी भी मुकदमे, अपील या कार्यवाही पर लागू नहीं होगा।