बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के 11 दिन बाद भी रिहाई नहीं हो पाई है। बता दें कि खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित का आरोप है कि पुलिस जमानतदारों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेज रही है। जिसकी वजह से खुशी की रिहाई नहीं हो पा रही है। खुशी के परिजन जब नौबस्ता और पनकी छाने जाते हैं, उनसे कहा जाता है कि अभी डाक नहीं मिली है, कह कर उन्हे टरका दिया जाता है। जबकि डाक की ट्रैक रिपोर्ट बताती है कि 11 जनवरी को प्रपत्र थाने में डिलीवर हो चुके हैं।
कानपुर की पनकी निवासी खुशी दुबे को पुलिस ने बिकरू कांड मामले में आरोपित बनाया और जेल भेज दिया था। खुशी की जमानत के लिए पैरवी कर रहे अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि उसके माता, पिता एवं बहन ने जमानत ली है। सुप्रीम कोर्ट से खुशी दुबे को जमानत चार जनवरी को मिल गई है। जमानतदारों के कागजात सत्यापन के लिए पुलिस के पास भेजे गए हैं। लेकिन अब तक सत्यापन की रिपोर्ट नहीं पहुंच सकी। डाक विभाग का कहना है कि यहां से 11 जनवरी को दस्तावेज थाने के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस को अब तक नहीं मिले दस्तावेज
खुशी दुबे के अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस ने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं भेजी है। दोनों थानों की पुलिस का कहना है कि उनके पास अभी खुशी के जमानतगीरों के सत्यापन का दस्तावेज ही नहीं मिल पाया है। जबकि डाक विभाग के मुताबिक 11 जनवरी को दोनों थानों में जमानतदारों के दस्तावेज डिलीवर हो चुके हैं। खुशी के माता-पिता लगातार थाने का चक्कर काट रहे हैं। शनिवार को भी दोनों थाने गए लेकिन थानेदारों का कहना है कि उनके पास खुशी से संबंधित केस में किसी भी तरह के दस्तावेज पुलिस के हाथ नहीं लगे ।
खुशी मामले में अधिवक्ता न्यायालय में दर्ज कराई जाएगी शिकायत
बैंक और रजिस्ट्रार ऑफिस की रिपोर्ट ट्रैक नहीं हो सकी। इसके साथ ही जमानत में एफडी और मकान के दस्तावेज लगते हैं। इसका सत्यापन कराने के लिए दस्तावेज बैंक और रजिस्ट्रार ऑफिस भेजे गए हैं। जल्द ही इन दोनों दस्तावेजों का सत्यापन रिपोर्ट भी ट्रैक कराई जाएगी। इससे साफ हो सकेगा कि आखिर दस्तावेज कहां रुके हुए हैं। खुशी के अधिवक्ता का कहना है कि 16 जनवरी को इस मामले की शिकायत करेंगें।