नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में फ्रीबीज के खिलाफ दायर याचिका के बाद विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर कोर्ट के बाहर बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है। वकील अश्विनी उपाध्याय के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका के माध्यम से कोर्ट से ये मांग की गई है कि चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘मुफ्त’ का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाया जाये। इस याचिका पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों राजनीतिक दलों द्वारा उपहार का वादा और उसे बांटना एक गंभीर मुद्दा है। अब इस मुद्दे पर कोर्ट के बाहर राजनीतिक दलों में लड़ाई छिड़ गई है। ताजा हमला आरएलडी सुप्रीमों जयंत चौधरी ने किया है।
आरएलडी चीफ जयंत चौधरी ने सीजेआई पर ही सवाल खड़े खड़े किए हैं। जयंत चौधरी ने ट्वीट कर पूछा है कि भारत के माननीय चीफ जस्टिस को कौन-कौन सी ‘फ्रीबीज’ मिलती हैं।
जयंत चौधरी ने इस मामले में एक के बाद एक ट्वीट में पूछा, ”प्रधानमंत्री जी को बताना चाहिए क्या अग्निपथ भी रेवड़ी नहीं है?”
इससे पहले आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी पार्टी बीजेपी के चुनावी वादों पर निशाना साधते हुए सवाल कर रही है कि क्या ये रेवड़ी नहीं है। आम आदमी पार्टी ने हाल ही में योगी सरकार के 60 वर्ष से उपर की महिलाओं के बस में फ्री यात्रा करने की योजना पर निशाना साधा रहै।
क्या है मामला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में फ्रीबीज के खिलाफ याचिका दायर की गई है। यानी चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘मुफ्त’ का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा उपहार का वादा और उसे बांटना एक गंभीर मुद्दा है। इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है।
जयंत चौधरी का हमला
अब इस मामले में जयंत चौधरी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने सीजेआई को बताया कि चुनाव के दौरान किए गए ज्यादातर वादों को घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बनाया जाता। यह बीजेपी के लिए सही हो सकता है, लेकिन हमारे लिए नहीं विधानसभा चुनाव में रैलियों के दौरान किए गए सभी वादों को हमने घोषणा पत्र में शामिल किया था।
राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने कहा, जब पार्टियां घोषणापत्र घोषणापत्र घोषित किए बिना चुनाव प्रचार शुरू करती हैं, तभी ये समस्याएं पैदा होती हैं। हमने विशेषज्ञ और सार्वजनिक प्रतिक्रिया पर आधारित एक घोषणापत्र, सम समय पर घोषित किया था, ताकि मतदाता प्रमुख मुद्दों को समझ सकें. वादे लोकतांत्रिक मतदान प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए अभिन्न हैं।
चौधरी ने कहा सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी काफी साहसिक लगती है लेकिन सही भावना में नहीं है। समाज के निचले हिस्से को सीधे हस्तक्षेप की आवश्यकता है चाहे वह राशन में हो या वित्तीय सहायता के माध्यम से। यह जीवन के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है।