मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति दो-चार दिग्गज नेताओं के चेहरों पर चलती है, इसमें चेहरों में साफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार का नाम मुख्य रूप से आता है. तभी तो जब महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री मोदी को बाल गंगाधर तिलक अवार्ड से नवाजा जाता है, तो विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को मंच साझा करने के लिए बुलाया जाता है. ठीक इसी तरह जब शरद पवार के भतीजे अजित पवार पार्टी से बगावत करके विपक्ष की एमवीए से नाता तोड़कर सत्ताधारी एनडीए एलाइंस में शामिल होते हैं तो उनको सीधा सूबे का मुख्यमंत्री बना दिया जाता है. हाल ही में शरद पवार और अजित पवार के एक गुप्त मुलाकात ने पश्चिमी तटीय राज्य महाराष्ट्र की सियासत तेज कर दी है. हालांकि रविवार को शरद पवार ने इस मुलाकात पर खुलासा किया और पार्टी के आगे का रूख भी साफ कर दिया.
शनिवार को हुई थी गुप्त बैठक
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को सोलापुर जिले के सांगोला में संवाददाताओं को संबोधित किया. यहां पर उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं जाएगी. कई शुभचिंतक उनको इस बात के लिए मनाने की कोशिश में लगे हैं. अगर उनके भतीजे अजित पवार उनसे मिलते हैं, तो इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है. दोनों नेताओं की मुलाकात 12 अगस्त यानी शनिवार को पुणे के एक कारोबारी के आवास पर हुई थी. इस गुप्त बैठक के बाद से महाराष्ट्र के सियासत की सरगर्मी तेज हो गई थी.
बीजेपी के साथ नहीं जाएगी एनसीपी
बता दें कि मुलाकात को लेकर शरद पवार ने ये कहा कि, ‘ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में मैं य स्पष्ट करना चाहता हूं कि पार्टी बीजेपी के साथ नहीं जाएगी. एनसीपी और बीजेपी का जुड़ाव राजनीतिक नीति में फिट नहीं बैठता है. कई शुभचिंतक मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम गठबंधन नहीं करने वाले हैं. ‘ एनसीपी अध्यक्ष ने बिना नाम लिए कहा कि, ‘ कुछ लोगों ने हमसे अलग होने का रूख अपनाया है और कई सोच रहे हैं कि हमारे रूख में बदलाव हो. इसी लिए हमसे सौहार्दपूर्ण चर्चा करने की कोशिश की जा रही है. ‘
महाराष्ट्र एनसीपी में ऐसे हुआ था टूट
गौरतलब है कि एक महीने पहले ही अजित पवार ने महाविकास अघाड़ी दल (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना उद्धव गुट) से अलग होकर, सत्ताधारी एनडीए दल में शामिल होने का फैसला किया था, इस फैसले के बाद उनको सूबे का नया डिप्टी सीएम बना दिया गया और उनके साथ आए 8 साथी विधायकों को महाराष्ट्र कैबिनेट में जगह दे दी गई.